संपादक की कलम से : चीन पर ही सवाल क्यों?
Sandesh Wahak Digital Desk: चीन साल पहले चीन के वुहान शहर से निकली कोरोना महामारी के बाद एक और वायरस ने चीन में दस्तक दे दी है। रहस्यमयी निमोनिया के यहां रोजाना सात हजार मामले सामने आ रहे हैं। इस बीमारी से सबसे अधिक बच्चे प्रभावित हो रहे हैं। इसका सबसे अधिक प्रभाव उत्तरी चीन में हैं। यहां के अस्पताल मरीजों से भर गए हैं और अफरा-तफरी का माहौल है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी चीन से नए वायरस के मामले में जानकारी मांगी है। नयी बीमारी से दुनिया भी चौकन्ना हो गयी है और भारत सरकार ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से स्वास्थ्य सुविधाओं की समीक्षा करने और किसी भी स्थिति से निपटने को तैयार रहने को कहा है। वहीं बीमारी को लेकर चीन का गोलमोल जवाब भी आशंका उत्पन्न करता है।
सवाल यह है कि :-
- चीन में ही नयी और रहस्यमयी बीमारियां सामने क्यों आ रही हैं?
- क्या कोरोना की तरह नया वायरस भी खतरनाक साबित हो सकता है?
- चीन और विश्व स्वास्थ्य संगठन इस मामले में खुलकर कुछ क्यों नहीं बता रहा है?
- क्या नये रोग को लेकर दुनिया को सतर्क होने की जरूरत नहीं है?
- कोरोना के समय चीन के प्रति जिस प्रकार की उदारता विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दिखाई थी, क्या वह इस बार भी कुछ ऐसा नहीं करेगा?
चीन के वुहान शहर से 2020 में निकले कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया था और इससे लाखों लोग संक्रमित होकर अपनी जान गंवा चुके हैं। दुनिया की अर्थव्यवस्था घुटनों पर आ गयी है। अभी वह मंजर लोगों के दिमाग से उतरा नहीं कि चीन में एक और वायरस की मौजूदगी ने दुनिया भर में डर पैदा कर दिया है।
चीन अपने यहां जैविक हथियार बनाने में वर्षों से काम कर रहा
हालांकि चीन इसको मौसमी निमोनिया बता रहा है लेकिन ऐसी ही बात चीन कोरोना के शुरुआत में कर रहा था। उसने इस बात को मानने से इंकार कर दिया था कि वुहान लैब से कोरोना वायरस फैला। दरअसल, चीन अपने यहां जैविक हथियार बनाने में वर्षों से काम कर रहा है। देश भर में वह खतरनाक वायरसों पर प्रयोगशालाओं में प्रयोग कर रहा है।
ऐसे में इस आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता कि नया वायरस, कहीं किसी प्रयोगशाला से निकलकर लोगों को संक्रमित तो नहीं कर रहा है क्योंकि यदि इसे मौसमी निमोनिया माने तो हर वर्ष ऐसी स्थिति उत्पन्न होनी चाहिए थी, लेकिन स्थितियां विस्फोटक है। हालांकि अभी यह स्पष्टï नहीं हो सका है कि यह बीमारी कितनी जानलेवा है।
ऐसे में दुनिया के देशों को सतर्क रहने की जरूरत है। हम भले ही चीन और विश्व स्वास्थ्य संगठन से इस बारे में स्पष्टïता की उम्मीद कर रहे हो लेकिन इस मामले में कोरोना काल के समय दोनों का रुख देखते हुए इसे बेमानी ही माना जा सकता है। हालांकि यदि दोबारा ऐसा हुआ तो चीन और विश्व स्वास्थ्य संगठन दोनों की साख रसातल में पहुंच जाएंगी। इसका चीन से होने वाले आयात-निर्यात पर भी असर पड़ेगा। जाहिर है भारत समेत दुनिया को एक बार फिर अलर्ट रहने की जरूरत है।