संपादक की कलम से: शिकारी वन्यजीवों से मुठभेड़ क्यों?

Sandesh Wahak Digital Desk: उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में बाघ, रामपुर व पीलीभीत में तेंदुआ और बहराइच में भेडिय़ों का आतंक फैला है। ये जंगलों से निकलकर बस्ती में पहुंच रहे हैं और लोगों पर हमला कर रहे हैं। बहराइच में भेड़ियों ने कम से कम छह बच्चों को अपना निवाला बना लिया है और अभी भी उनके हमले जारी हैं। लखीमपुर खीरी में बाघ तीन लोगों की जान ले चुका है। शिकारी वन्य जीवों का बस्ती में घुसकर लोगों पर हमला करने की ये कोई पहली घटना नहीं है। ऐसे कई केस पूर्व में भी हो चुके हैं। यही हाल कई अन्य राज्यों में भी है।

सवाल ये है कि :

  • वन विभाग क्या कर रहा है?
  • ये वन्य जीव जंगलों से निकलकर आदमी की बस्तियों तक क्यों पहुंच रहे हैं?
  • क्या जंगलों में शिकार की कमी के कारण ये स्थितियां पैदा हुई हैं?
  • क्या यह आदमी के जंगलों में अवैध घुसपैठ का नतीजा है?
  • क्या जंगली जीवों के संरक्षण के लिए बनायी गयी नीति के पालन में लापरवाही बरती जा रही है?
  • केंद्र और राज्य सरकारें इस मामले में ठोस कदम क्यों नहीं उठा रही हैं?

उत्तर प्रदेश समेत देश के कई राज्यों में शिकारी वन्य जीवों की स्थिति बिगड़ती जा रही है। अवैध कटान के कारण जंगल सिमटते जा रहे हैं। वहीं वन्य जीवों की संख्या में वृद्धि से इनके लिए जंगल में पर्याप्त आवास और शिकार की कमी हो गई है। वन्य जीव जंगलों में अपना इलाका बनाते हैं और उसमें वे किसी को घुसने नहीं देते हैं। ऐसे में जब इनकी संख्या बढ़ जाती है तो उनमें संघर्ष शुरू हो जाता है। इसका परिणाम यह होता है कि इसमें से एक ग्रुप को वह स्थान छोडऩा पड़ता है और वे शिकार की खोज में जंगल से बाहर निकलते हैं।

बस्तियों तक पहुंच जाते हैं वन्य जीव

शिकारी वन्य जीव आसपास के गांवों में घुस जाते हैं। यहां उन्हें पालतू पशु के रूप में आसान शिकार मिलता है। इसके अलावा बाघ जैसे वन्य जीव आदमी का शिकार भी करने लगते हैं और आदमखोर बन जाते हैं। यहीं से आदमी और वन्य जीवों में संघर्ष शुरू हो जाता है। जहां वन्य जीवों के संरक्षण के लिए अभयारण्य या नेशनल पार्क बने हैं, वहां भी स्थिति कोई बहुत अच्छी नहीं है। कई बार यहां से भी ये शिकारी पशु आस-पास के गांवों की बस्तियों में पहुंच जाते हैं और लोगों पर हमले करने शुरू कर देते हैं।

हैरानी की बात यह है कि ऐसी तमाम घटनाओं के बावजूद न तो केंद्र और न ही राज्य सरकारें इसे लेकर गंभीर दिखती हैं। वहीं वन विभाग भी इस मामले में बेहतर निगरानी रखने में नाकाम साबित हो रहा है। यदि सरकार वन्य जीवों और आदमी के बीच के मुठभेड़ को रोकना चाहती है तो उसे इनके संरक्षण को लेकर ठोस नीति बनानी होगी।

इसके लिए उसे ऐसी व्यवस्था करनी होगी ताकि वन्य जीवों को जंगलों के भीतर ही शिकार उपलब्ध हो सके। इसके साथ ही जंगलों और अभयारण्य का भी विस्तार करना होगा ताकि यदि इनकी संख्या बढ़े तो वन्य जीवों को आश्रय की कमी न हो। दूसरी ओर कम से कम अभयारण्य और नेशनल पार्क में वन्य जीवों की निगरानी व्यवस्था को भी दुरुस्त करना होगा।

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