संपादक की कलम से: सड़क हादसों से सबक कब?
Sandesh Wahak Digital Desk: उत्तर प्रदेश के कासगंज में श्रद्धालुओं से भरी टै्रक्टर ट्राली अनियंत्रित होकर एक पोखर में पलट गयी। इसमें 23 लोगों की मौत हो गयी है। घटना का मुख्य कारण ओवरटेक को बताया जा रहा है। प्रदेश सरकार ने मृतकों के परिजनों को आर्थिक मदद देने का ऐलान किया है।
सवाल यह है कि :
- प्रदेश में सड़क हादसों पर लगाम क्यों नहीं लग पा रही है?
- संबंधित विभाग मोटर व्हीकल एक्ट का पालन सख्ती से क्यों नहीं करा रहा है?
- रोक के बावजूद ट्रैक्टर-ट्रॉली के जरिए सवारियों को लाने-जाने का काम क्यों किया जा रहा है?
- सड़क सुरक्षा जागरूकता अभियान के बावजूद हालात नियंत्रण में क्यों नहीं आ रहे हैं?
- आए दिन सड़क हादसों में लोगों की जाने क्यों जा रही हैं?
- क्या लोगों की सुरक्षा से खिलवाड़ करने की छूट किसी को दी जा सकती है?
- सरकार के आदेशों का सख्ती से पालन कराने में घोर लापरवाही क्यों बरती जा रही है?
- क्या सड़कों की बनावट और अप्रशिक्षित चालक हादसों का ग्राफ बढ़ाने के लिए जिम्मेदार है?
उत्तर प्रदेश में सड़क हादसों का ग्राफ बढ़ता जा रहा है। यहां आए दिन लोग दुर्घटना का शिकार हो रहे हैं और इसमें लोगों की जान जा रही है। हादसों के लिए कोई एक कारण जिम्मेदार नहीं है। सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद प्रदेश की तमाम सड़कें आज भी गड्ढा मुक्त नहीं हो सकी हैं। सड़कों के निर्माण में मानकों को दरकिनार कर दिया गया है। स्पीड ब्रेकर का हाल यह है कि यह दुर्घटना रोकने की जगह इसकी संख्या को बढ़ा रहे हैं। कहीं भी बेतरतीब तरीके से इनको बनाया दिया जाता है।
स्पीड ब्रेकर और चौराहे दुर्घटना हो दे रहे दावत
लखनऊ की बात करे तो यहां के कई इलाकों में स्पीड ब्रेकर और चौराहे दुर्घटनाओं को न्योता दे रहे हैं। कई इलाकों में सडक़ें जर्जर और गड्ढा युक्त हैं। सुप्रीम कोर्ट भी गड्ढों से होने वाली दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों पर अपनी चिंता जता चुका है और राज्य सरकारों से इन्हें दुरुस्त करने को कह चुका है। कई स्थानों पर सिग्नल सिस्टम ठीक से काम नहीं करता है।
चौराहों पर टै्रफिक व्यवस्था दुरुस्त नहीं होने के कारण लोग रेड सिग्नल तक जंप कर रहे हैं। रोक के बावजूद टै्रक्टर-ट्रॉलियां शहर से लेकर राजमार्गों तक सवारियों को भरकर फर्राटा भर रही हैं। हैरानी की बात यह है कि यातायात नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है। लिहाजा सडक़ पर यातायात के नाम पर वाहनों की अराजकता सी दिखती है।
यही वजह है कि हादसे-दर-हादसे हो रहे हैं। रही सही कसर अप्रशिक्षित और नशे में वाहने चलाने वाले वाहन चालक पूरी कर रहे हैं। साफ है यदि सरकार हादसों पर नियंत्रण लगाना चाहती है तो उसे सबसे पहले सडक़ों को दुरुस्त कराना होगा। मानकों के मुताबिक स्पीड ब्रेकर बनवाने होंगे। साथ ही यातायात नियमों का सख्ती से पालन सुनिश्चित करना होगा। आम आदमी को यातायात नियमों के प्रति जागरूक करना होगा अन्यथा स्थितियां और विकट हो जाएंगी।