संपादक की कलम से: बेकाबू महंगाई और आम आदमी

Sandesh Wahak Digital Desk: भारतीय रिजर्व बैंक की तमाम कोशिशों के बावजूद महंगाई की रफ्तार कम नहीं हो रही है। खाद्य वस्तुओं की अस्थिर और ऊंची कीमतों ने केंद्रीय बैंक और सरकार दोनों को बैक फुट पर ढकेल दिया है। अब अच्छा मानसून ही देश में खाद्य वस्तुओं के दामों में कुछ गिरावट ला सकता है। वहीं बढ़़ती महंगाई ने आम आदमी का जीना मुहाल कर दिया है।

बड़ा सवाल यह है कि :

  1. महंगाई पर लगाम लगाने में सरकार नाकाम क्यों हो रही है?
  2. क्या मजबूत इच्छाशक्ति के बिना इस पर काबू किया जा सकता है?
  3. क्या बाजार में मांग और आपूर्ति के बीच बढ़ते असंतुलन को रोकना कठिन है?
  4. क्या वैश्विक बाजार में मंदी का असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी पड़ रहा है?
  5. क्या प्रति व्यक्ति आय में बढ़ोतरी के बिना हालात नियंत्रित किए जा सकते हैं?
  6. आम आदमी की क्रय शक्ति को बढ़ाने के उपाय क्यों नहीं किए जा रहे हैं?
  7. कोरोना महामारी का प्रकोप शांत हुए दो साल से अधिक हो चुके हैं लेकिन आज भी अर्थव्यवस्था पटरी पर क्यों नहीं आ रही है?
  8. क्या इसका असर देश के विकास की रफ्तार पर नहीं पड़ेगा?

एक ओर सरकार देश को विश्व की तीसरी अर्थव्यवस्था बनाने के वादे कर रही है तो दूसरी ओर आम आदमी के लिए दैनिक वस्तुओं को खरीदना मुश्किल हो गया है। महंगाई अपनी रफ्तार से बढ़ती जा रही है। हालांकि खुदरा महंगाई दर में नरमी के संकेत मिले हैं लेकिन खाद्य वस्तुओं की अस्थिर और बढ़ती कीमतों ने हालात बेकाबू कर दिए हैं। अनाज से लेकर सब्जियों तक के दाम आसमान छू रहे हैं। इसका सबसे अधिक असर गरीब व निम्न मध्यमवर्ग पर पड़ रहा है। कीमतें बढऩे के कारण आम आदमी की क्रय शक्ति घट गयी है। लिहाजा बाजार में मांग व आपूर्ति में असंतुलन पैदा हो गया है।

महंगाई रोकने के लिए सरकार कोई ठोस प्रयास नहीं कर रही

वहीं महंगाई रोकने के लिए सरकार कोई ठोस प्रयास नहीं कर रही है। भारतीय रिजर्व बैंक महंगाई पर काबू पाने के लिए मौद्रिक नीति में नरम रुख नहीं अपना रहा है। दरअसल, महंगाई को नियंत्रित करने के लिए रेपो रेट का चार फीसदी या इसके अंदर रहना अनिवार्य है लेकिन यह अभी भी इससे ऊपर बना हुआ है। हालांकि केंद्रीय बैंक के नीति नियंताओं को उम्मीद है कि बेहतर मानसून से खाद्य वस्तुओं के दामों में गिरावट आएगी। सरकार को महंगाई का स्थायी हल निकालना होगा। यह तभी संभव है जब आम आदमी की क्रय शक्ति में इजाफा हो।

इसके लिए सरकार को देश में रोजगार के साधनों का तेज गति से विकास करना होता। अधिक से अधिक रोजगार होने से लोगों की क्रय शक्ति बढ़ेगी तो बाजार में मांग और आपूर्ति में वृद्धि होगी। इसका सीधा असर अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। इससे महंगाई की रफ्तार पर लगाम लग सकेगी। इसके अलावा सरकार को कम से कम खाद्य वस्तुओं की कीमतों को बाजार के हवाले करने की बजाए खुद अपने हाथ में लेना होगा। इससे आम आदमी को फौरी राहत मिल सकेगी अन्यथा स्थितियां बिगड़ती जाएंगी।

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