संपादक की कलम से: भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की हकीकत

Sandesh Wahak Digital Desk: यूपी के बरेली में एक इंस्पेक्टर ने ड्रग तस्करों से सात लाख की डील की और उन्हें छोड़ दिया। मामले की जानकारी पर शीर्ष अधिकारियों ने छापेमारी की तो ऑफिस स्थित इंस्पेक्टर के कमरे में बिस्तर पर बिछे दस लाख रुपये मिले। यह प्रदेश में गले तक फैले भ्रष्टाचार की बानगी भर है। भ्रष्टाचार यहां के तमाम विभागों में व्याप्त है और इन पर सरकार की जीरो टॉलरेंस की नीति का कोई असर पड़ता नहीं दिख रहा है।

सवाल यह है कि :

  • कड़े कानूनों के बाद भी यूपी में फैले भ्रष्टाचार पर नियंत्रण क्यों नहीं लग पा रहा है?
  • विभिन्न विभागों में लगातार हो रहे घोटालों के लिए कौन जिम्मेदार है?
  • क्या प्रदेश में भ्रष्टाचार ऊपर से नीचे तक व्याप्त है?
  • क्यों अधिकारी-कर्मचारी सरकार के आदेशों को दरकिनार कर रहे हैं?
  • क्या प्रदेश सरकार की भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति को अधिकारी-कर्मचारी ही पलीता लगा रहे हैं?
  • क्या घोटालेबाजों के खिलाफ समय से कानूनी कार्रवाई नहीं होने और उनको सलाखों के पीछे नहीं भेजने के कारण ही यहां हालात बद से बदतर हो रहे हैं?

खूब चर्चाओं में रहा बलिया वसूली कांड

प्रदेश में भाजपा सरकार ने ऐलान किया था कि भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म किया जाएगा और इसके खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई जाएगी। खुद सीएम योगी ने इसके खिलाफ मुहिम चला रखी है। उन्होंने अफसरों और कर्मियों से अपनी संपत्ति का ब्योरा देने का आदेश दे रखा है लेकिन अभी तक महज 26 फीसदी कर्मियों ने ही ब्योरा दिया है। इसी तरह पिछले सात सालों में कई घोटाले सामने आ चुके हैं। भ्रष्टाचार के मामले में सबसे अधिक बदनाम पुलिस विभाग रहा है। हाल में हुए बलिया वसूली कांड और बरेली में ड्रग तस्कर से घूस लेने के मामले इसकी पुष्टि करते हैं।

भ्रष्टाचार के कारण ही प्रदेश में पुलिस भर्ती और आरओ-एआरओ परीक्षा को रद्द करना पड़ा था। जांच में इसमें सरकारी कर्मियों की संलिप्तता उजागर हो चुकी है। ऐसे कई घोटालों की जांच हो रही है। सच यह है कि उन्हीं विभागों में भ्रष्टाचार नहीं है जहां इसे करने का कोई रास्ता नहीं है या यूं कहें कि मौके नहीं हैं। जिस तरह आए दिन भ्रष्टाचार के केस सामने आ रहे हैं उससे साफ है कि प्रदेश सरकार इस पर नियंत्रण लगाने में नाकाम साबित हो रही है।

भ्रष्टाचारियों पर हो त्वरित कार्रवाई

दरअसल, भ्रष्टाचार ऊपर से नीचे तक व्याप्त है। इसमें दो राय नहीं कि बिना उच्च पदस्थ लोगों की शह के कर्मचारी ऐसा नहीं कर सकता है। हैरानी की बात यह है कि भ्रष्टाचार के मामले खुलने पर छोटी मछलियों के खिलाफ तो कार्रवाई की जाती है लेकिन बड़ी मछलियों को नहीं पकड़ा जाता है। यही वजह है कि भ्रष्टाचार पर लगाम नहीं लग पा रही है। यदि सरकार वाकई भ्रष्टाचार पर नकेल कसना चाहती है तो उसे सबसे पहले बड़ी मछलियों को पकडऩा और उन्हें जल्द से जल्द सजा दिलानी होगी। साथ ही भ्रष्ट कर्मियों को चिन्हित कर उनके खिलाफ त्वरित कार्रवाई करनी होगी अन्यथा हालात सुधरेंगे नहीं।

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