संपादक की कलम से: बसों पर सख्ती और तंत्र
Sandesh Wahak Digital Desk: उन्नाव बस हादसे के बाद यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने परिवहन विभाग के बड़े अफसरों को स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि प्रदेश में कोई भी डग्गामार और बिना परमिट बस सडक़ पर दौड़ती मिलीं तो उनकी खैर नहीं है। आदेश में बाद विभागीय अधिकारियों ने आनन-फानन में एक महीने का सघन चेकिंग अभियान चलाने का आदेश भी जारी कर दिया है।
सवाल यह है कि:
- क्या जब तक सीएम संबंधित विभागीय अधिकारियों को चेतावनी नहीं देंगे वे अपने कर्तव्यों का पालन नहीं करेंगे?
- क्यों सरकार की सारी सख्ती और नियम-कानूनों के पालन कराने के निर्देश लालफीताशाही की फाइलों में दफन हो जाते हैं?
- यदि विभागीय अफसर अपने कर्तव्यों का ठीक ढंग से पालन कर रहे होते तो क्या प्रदेश में डग्गामार और बिना परमिट की बसें चल रही होतीं?
- क्या सिर्फ एक माह तक सघन अभियान चलाने भर से ऐसे वाहनों को चलन से बाहर किया जा सकता है?
- क्या यह सारा धंधा कर्मियों और बस संचालकों की मिलीभगत से चल रहा है?
- आखिर प्रशासनिक स्तर पर इस प्रकार की लापरवाही क्यों बरती जा रही है?
प्रदेश में डग्गामार और बिना परमिट की बसें आज से नहीं चल रही हैं। कई सरकारें आईं और गईं लेकिन इस पर शिकंजा नहीं कसा जा सका है। इन बसों के कारण प्रदेश में तमाम हादसे हो चुके हैं। हादसे के बाद कुछ दिन तक संबंधित विभाग एक्शन में दिखाई पड़ता है और मामले के ठंडा पड़ते ही फिर अपने पुराने ढर्रे पर लौट आता है। प्रदेश के तमाम निजी स्कूल भी अनफिट बसें संचालित कर रहे हैं और बच्चों की जान को जोखिम में डाला जा रहा है। ये बसें सडक़ पर फर्राटा भर रही हैं और कई बार बड़ी दुर्घटना का कारण बनती है।
डग्गामार बसें भरती हैं फर्राटा
इसकी बड़ी वजह ऐसे डग्गामार बसों की चेकिंग नहीं होना है। सच यह है कि यह सारा धंधा विभागीय कर्मियों और बस संचालकों की मिलीभगत से चल रहा है। अब जब सीएम ने बड़े अफसरों को जवाबदेह बनाया है तो अभियान चलाने का ऐलान किया गया है। बावजूद इसके इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि अभियान चलाने के बाद भी प्रदेश की सडक़ों पर डग्गामार बसें फर्राटा नहीं भरेंगी। दरअसल, पूरा देश ही लालफीताशाही की चपेट में फंसा है। कई सरकारी योजनाएं और सरकार के आदेश लालफीताशाही के चक्रव्यूह में दम तोड़ चुके हैं।
यदि संबंधित विभाग अपने कर्तव्यों का पालन करता तो प्रदेश की सडक़ों पर डग्गामार वाहन शायद ही दिखाई पड़ते। यदि सरकार वाकई प्रदेश से डग्गामार बसों को चलन से बाहर करना चाहती है तो उसे लालफीताशाही के इस चक्रव्यूह को तोडऩा होगा। उन लोगों को चिन्हित करना होगा जिसकी शह पर ऐसे वाहन सडक़ों पर दौड़ रहे हैं। साथ ही सघन चेकिंग अभियान की प्रक्रिया को लगातार जारी रखना होगा। अन्यथा स्थितियां सुधरेंगी नहीं। हालांकि सीएम की सख्ती के बाद उम्मीद है कि संबंधित विभाग के अफसर इस मामले पर गंभीरता से काम करेंगे।
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