संपादक की कलम से: आतंक के खिलाफ बदलनी होगी रणनीति

Sandesh Wahak Digital Desk: जम्मू-कश्मीर में एक महीने के भीतर आतंकियों ने दूसरा बड़ा हमला किया है। आतंकियों ने सेना के वाहन पर घात लगाकर ग्रेनेड फेंका और गोलीबारी की। इसके कारण पांच जवान शहीद हो गए जबकि इतने ही घायल हो गए हैं। सेना का सर्च ऑपरेशन जारी है।

इन सबके बीच सबसे बड़ा सवाल यह है कि : 

  • राज्य में एक बार फिर आतंकी कैसे सक्रिय हो गए हैं?
  • खुफिया एजेंसियों के अलर्ट के बाद भी सेना पर हमला कैसे हो गया?
  • क्या आतंकियों ने अपनी रणनीति बदल ली है और वे सेना को अधिक से अधिक नुकसान पहुंचाने के लिए नए-नए तरीके इजाद कर रहे हैं?
  • क्या आतंकियों के सफाए के लिए सेना को अपनी रणनीति पर बदलाव नहीं किया जाना चाहिए?
  • आखिर इन आतंकियों को हथियार और पैसा कौन मुहैया करा रहा है?
  • क्या स्थानीय स्लीपर सेल को खत्म किए बिना घाटी से आतंकवाद का सफाया किया जा सकता है?
  • सेना इन स्लीपर सेल को खत्म करने पर फोकस क्यों नहीं कर रही है?
  • क्या पड़ोसी पाकिस्तान एक बार फिर घाटी में हिंसक गतिविधियों को अंजाम देने में जुटा है?
  • क्या चीन भी इस मामले में पाकिस्तानी आतंकी संगठनों और हुक्मरानों को सहायता उपलब्ध करा रहा है?

जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद से पाकिस्तानी हुक्मरान और यहां पल रहे आतंकी संगठन बौखला गए हैं। वे यहां के विकास की रफ्तार को देखकर चिंतित हैं। यहां बढ़ रही सैलानियों की संख्या और बाहरी निवेश ने आतंकी संगठनों को परेशान कर दिया है। यही वजह है कि वे बाहरी लोगों को भयभीत करने के लिए आतंकी गतिविधियों को अंजमा दे रहे हैं। यह बात दीगर है कि सेना भी आतंकियों का चुन-चुनकर सफाया कर रही है। लिहाजा आतंकी वारदातों को अंजाम देने वाले आतंकियों का तत्काल खात्मा किया जा रहा है।

आर्थिक दिवालिएपन की कगार पर पहुंच चुका है पाकिस्तान

पाकिस्तान भी इन आतंकियों को समर्थन दे रहा है क्योंकि ये उसी के पाले हुए हैं। पाकिस्तान आर्थिक दिवालिएपन की कगार पर पहुंच चुका है इसलिए वह अपने आवाम का ध्यान भटकाने के लिए इस प्रकार के हथकंडे अपनाता रहता है। वहीं चीन भी भारत को कमजोर करने के लिए इन आतंकियों को पैसे और हथियार से लगातार मदद कर रहा है। पाकिस्तान कश्मीर में आतंकी गतिविधियों को संचालित कर दुनिया में ढिंढोरा पीटना चाहता है कि अनुच्छेद 370 हटाने के बाद भी घाटी में कुछ भी बदला नहीं है और आतंकी घटनाएं बदस्तूर जारी हैं।

जाहिर है स्थितियां तेजी से बिगड़ रही हैं। यदि सरकार कश्मीर में शांति स्थापित करना चाहती है तो उसे सबसे पहले आतंकियों से निपटने की रणनीति में बदलाव करना होगा। सेना को चाहिए कि वह आतंक की जड़ पर प्रहार करे और आतंंकियों को सीमापार करने से पहले ही खत्म कर दे। इसके अलावा उसे आतंकियों के मददगारों को चिन्हित कर कड़ी कार्रवाई करनी होगी। इसमें स्थानीय स्लीपर सेल सबसे अधिक घातक हैं अन्यथा स्थितियां खराब हो जाएंगी।

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