संपादक की कलम से: अंतरिक्ष की ओर बढ़ते कदम
Sandesh Wahak Digital Desk : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो)ने अंतरिक्ष की ओर एक और कदम बढ़ाने का ऐलान कर दिया है। चंद्रमा के दक्षिणी धु्रव पर लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान की सफल सॉफ्ट लैंडिंग के बाद इसरो अब पहले मानवरहित और फिर मानवयुक्त यान को अंतरिक्ष में भेजने का प्रयोग करने जा रहा है। इसके परीक्षण के लिए 21 अक्टूबर की तारीख भी तय कर दी गई है। इस पहले परीक्षण में इसरो यान को अंतरिक्ष में भेजने और वहां से एस्ट्रोनॉट्स को वापस लाने की प्रक्रिया का आंकलन करेगा। हालांकि अभी उसका फोकस अंतरिक्ष में मानवरहित यान भेजने का है।
सवाल यह है कि :-
- अंतरिक्ष में तेजी से सफलता प्राप्त कर रहे भारत को इससे क्या फायदा होगा?
- क्या मानवयुक्त अंतरिक्ष यान की सफलता भविष्य में अंतरिक्ष पर्यटन का दरवाजा खोल देगा?
- क्या इसरो की धाक वैश्विक अंतरिक्ष बाजार में और बढ़ेगी?
- आखिर भारत अंतरिक्ष पर इतना फोकस क्यों कर रहा है?
- क्या सस्ती और गुणवत्तायुक्त भारतीय अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी छोटे देशों को भारत की ओर खींच सकेगी?
- क्या दूसरे देशों के उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजने के वैश्विक बाजार में भारत की साख और मजबूत होगी?
- क्या इससे भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत होगी?
चंद्रयान-3 की सफलता ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत की धाक विश्व में जमा दी है। इसकी सस्ती और गुणवत्तापूर्ण तकनीक देखकर अमेरिकी अंतरिक्ष विशेषज्ञ भी हैरान रह गए थे और उन्होंने यह तकनीक अमेरिका से साझा करने की मंशा जाहिर की थी। इसमें दो राय नहीं कि यह सब एक दिन में नहीं हुआ है। इसमें हमारे वैज्ञानिकों की मेधा और मेहनत है। हालांकि पिछले एक दशक में अंतरिक्ष और वैज्ञानिक अनुसंधानों में तेजी का बड़ा कारण सरकार का सहयोगात्मक रवैया भी रहा है।
अंतरिक्ष के क्षेत्र में सफलता की दर काफी कम
इसमें दो राय नहीं कि किसी भी देश में बिना सरकार के सहयोग के अनुसंधान का काम तेजी से नहीं किया जा सकता है क्योंकि अंतरिक्ष के क्षेत्र में सफलता की दर काफी कम रहती है। साथ ही इसमें नुकसान काफी होता है। भारत सरकार के सहयोग के कारण ही चंद्रयान-2 के कुछ साल के भीतर ही विज्ञानियों ने चंद्रयान-3 का न केवल सफल प्रक्षेपण किया बल्कि चंद्रमा के दक्षिणी धु्रव में सॉफ्ट लैंडिंग कराकर दुनिया को अपनी मेधा का लोहा मनवा दिया।
इसके कुछ दिन बाद इसरो ने सूर्य के अध्ययन के लिए आदित्य एल वन लॉन्च कर दिया और अब वह मिशन गगनयान को सफल बनाने में जुट गए हैं। यह अभियान सफल रहता है तो यह न केवल अंतरिक्ष में पर्यटन का नया द्वार खोल देगा बल्कि अंतरिक्ष से दूर ग्रहों का अध्ययन करना भी आसान हो जाएगा। इससे भारत के आर्थिक विकास को भी मजबूती मिलेगी। वहीं इन सफलताओं से आने वाली पीढिय़ों के मन में अंतरिक्ष के प्रति रचि पैदा होगी। अंतरिक्ष के क्षेत्र में अनुसंधान की प्रक्रिया तेज होगी जो देश और दुनिया के लिए उपयोगी होगी। इस सबका असर भारत की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा।
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