संपादक की कलम से : दुनिया में नए सैन्य गुट की आहट
Sandesh Wahak Digital Desk : उत्तरी कोरिया के तानाशाह किम जोंग और रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन की मुलाकात ने दुनिया में हलचल मचा दी है। दोनों के बीच सैन्य डील होने की संभावना है। चीन और कुछ अन्य देश रूस के पाले में पहले से हैं। ऐसे में इस मुलाकात के बाद से दुनिया में एक नये सैन्य गुट की आहट सुनाई देने लगी है।
सवाल यह है कि :-
- रूस-उत्तरी कोरिया के बीच बढ़ते संबंधों की वजह क्या है?
- क्या यूक्रेन युद्ध के कारण प्रतिबंधों को झेल रहा रूस नये दोस्तों की तलाश में जुट गया है?
- क्या उत्तरी कोरिया से गलबहियां कर पुतिन, अमेरिका और यूरोपीय देशों पर दबाव बनाने का दांव चल रहे हैं?
- क्या रूस, यूक्रेन युद्ध के लिए उत्तरी कोरिया से हथियारों की बड़ी खेप चाहता है?
- क्या रूस से मित्रता बढ़ाकर किम जोंग अपनी जनता के लिए खाद्यान्न आपूर्ति और संयुक्त राष्ट्र में अपने खिलाफ प्रतिबंधों को खत्म कराना चाहते हैं?
- क्या यह मित्रता आने वाले समय में दुनिया की सैन्य कूटनीति में नया इतिहास लिखेगी?
पिछले डेढ़ साल से रूस-यूक्रेन युद्ध जारी है। यह युद्ध इसलिए लंबा चल रहा क्योंकि अमेरिका समेत तमाम देश यूक्रेन की लगातार मदद कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर रूस पर तमाम प्रतिबंध लगा दिए गए है। इन प्रतिबंधों के बावजूद रूस मैदान-ए-जंग में अपने बूते डटा हुआ है। हालांकि उसे चीन समेत कई अन्य देशों का साथ मिला है। भारत भी अपने मित्र रूस के खिलाफ कड़े बयान देने से बचता रहा है। यही नहीं रूस से अधिक मात्रा में कच्चा तेल खरीद कर भारत उसकी प्रकारांतर से सहायता ही कर रहा है। जी-20 बैठक में भी इस मुद्दे पर नई दिल्ली घोषणापत्र में कोई खास जिक्र नहीं किया गया।
हथियारों की आपूर्ति के लिए उत्तर कोरिया से बढ़ा रहा संबंध
रूस, अमेरिका समेत अन्य देशों द्वारा यूक्रेन की लगातार सहायता किए जाने से चिढ़ा हुआ है और वह पलटवार करने के मूड में है। लगातार चल रहे युद्ध के कारण रूस के शस्त्रागार में हथियार भी कम होते जा रहे हैं। ऐसे में वह उत्तर कोरिया के तानाशाह से संबंध बढ़ाकर हथियारों की आपूर्ति चाहता है। उत्तर कोरिया के पास हथियारों की कोई कमी नहीं है।
दूसरी ओर अमेरिका के आक्रामक तेवर को देखते हुए उत्तर कोरिया अपने दोस्तों की संख्या बढ़ाने में जुटा है। इसके अलावा किम जोंग अपने नागरिकों के लिए रूस से हथियारों के बदले खाद्यान्न की आपूर्ति चाहता है। कुल मिलाकर दोनों देश एक-दूसरे से मदद के आकांक्षी है लेकिन यह स्थितियां ठीक नहीं है।
इससे विश्व दौ सैन्य गुटों में बंटने की राह पर पहुंच जाएगा, जिसमें एक ओर रूस के मित्र देश होंगे तो दूसरी ओर अमेरिका के। इसका दुनिया पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। यह एक विश्व युद्ध का बीज भी बो सकता है। ऐसे में अमेरिका समेत अन्य ताकतवर देशों को चाहिए कि वे जल्द से जल्द रूस-यूक्रेन युद्ध को बंद कराए और दोनों को एक टेबुल में लाएं। यदि ऐसा नहीं हुआ तो स्थितियों के बदतर होते देर नहीं लगेगी।
Also Read : संपादक की कलम से: वैश्विक संस्थाओं में…