संपादक की कलम से: परीक्षा की शुचिता और सुप्रीम कोर्ट

Sandesh Wahak Digital Desk: मेडिकल के स्नातक पाठ्यक्रमों में प्रवेश की राष्टï्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट-यूजी) में गड़बडिय़ों और पेपर लीक की शिकायतों को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने बेहद तल्ख टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि सिस्टम से धोखाधड़ी कर डॉक्टर बनने वाले समाज के लिए नुकसानदायक हो सकते हैं। लिहाजा यदि परीक्षा में मामूली गड़बड़ी भी हुई है तो इससे पूरी तरह निपटना होगा।

सवाल यह है कि :

  • पिछले कुछ वर्षों से भर्ती से लेकर प्रतियोगी परीक्षाओं तक की शुचिता पर लगातार सवाल क्यों खड़े हो रहे हैं?
  • क्या भ्रष्टाचार ने पूरे तंत्र को जर्जर कर दिया है?
  • क्या बिना सरकारी कर्मचारियों की मिलीभगत के परीक्षाओं में सेंध लगायी जा सकती है?
  • पेपर लीक और अन्य धांधलियों पर लगाम क्यों नहीं लग रही है?
  • कड़े कानूनों के बावजूद स्थितियों में सुधार क्यों नहीं हो रहा है?
  • हर बार सुप्रीम कोर्ट को जनहित के मुद्दे पर दखल क्यों देना पड़ रहा है?
  • क्या कोर्ट के आदेश के बिना सरकारें धांधलियों पर लगाम लगाने के लिए ठोस कदम नहीं उठा सकती हैं?
  • क्या किसी को भी छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ करने की छूट दी जा सकती है?

नीट परीक्षा में लगे धांधली के आरोपों पर सुप्रीम कोर्ट की तल्खी और टिप्पणी के कई मायने हैं। कोर्ट की टिप्पणी से साफ है कि सिस्टम में कहीं न कहीं खामी है, जिसके चलते परीक्षाओं की शुचिता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। इसके कारण प्रतिभाशाली छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ हो रहा है। नीट परीक्षा में धांधली के आरोप केवल एक बानगी भर है। देश में अधिकांश परीक्षाओं में समय-समय पर ऐसे आरोप लगते रहे हैं। भर्ती से लेकर प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर लीक हो रहे हैं।

सॉल्वर गैंग पूरे देश में फैला

सॉल्वर गैंग अभ्यर्थियों को परीक्षा में पास कराने की गारंटी दे रहे हैं। ये सॉल्वर गैंग पूरे देश में फैले हैं और इसके नेटवर्क में सरकारी कर्मचारी से लेकर पढ़े-लिखे लोग तक शामिल हैं। यह नेटवर्क परीक्षार्थियों से परीक्षा पास कराने के नाम पर मोटी रकम वसूल करते हैं। इनकी पहुंच का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि ये प्रकाशन केंद्र से पेपर लीक करा लेते हैं। जाहिर है, पेपर कहां प्रकाशित हो रहा है, इसकी जानकारी उन्हें निश्चित रूप से किसी विभागीय व्यक्ति से ही मिलती होगी। वे पेपर को लाखों में खरीदते हैं और इससे करोड़ों कमाते हैं। इस कमाई में सबका हिस्सा बंधा होता है।

नकल कराने और परीक्षार्थी की जगह सॉल्वर उपलब्ध कराने तक की व्यवस्था यह नेटवर्क करता है। साफ है, स्थितियां लगातार बिगड़ रही हैं। यह अव्यवस्था और धांधली परीक्षा आयोजित कराने वाली एजेंसी की साख पर बट्टा लगा रही है। यदि सरकार परीक्षाओं की शुचिता को बनाए रखना चाहती है तो उसे न केवल परीक्षा को फुल प्रूफ बनाना होगा बल्कि विभागीय भ्रष्टïाचार को खत्म करना होगा। साथ ही सॉल्वर गैंग के नेटवर्क को जड़ से खत्म करना होगा अन्यथा परीक्षा का कोई अर्थ नहीं रह जाएगा।

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