संपादक की कलम से: घटिया निर्माण और सरकारी तंत्र
Sandesh Wahak Digital Desk: पहली बारिश ने उत्तर प्रदेश में घटिया सड़कों के निर्माण की पोल खोल दी है। सबसे हैरान करने वाला मामला अयोध्या में सामने आया है। यहां अभी हाल में ही बने रामपथ में जगह-जगह गड्ढे बन गए हैं व सड़क उखड़ने लगी है। यही नहीं अयोध्या में जगह-जगह जलभराव भी हो रहा है। हालांकि घटिया निर्माण पर प्रदेश सरकार ने छह इंजीनियरों को सस्पेंड कर दिया है। इसमें तीन पीडब्ल्यूडी और तीन जल निगम के हैं। यही हाल प्रदेश के अन्य जिलों में बनी नयी सडक़ों का है।
सवाल यह है कि :
- सरकार के तमाम दावों के बावजूद प्रदेश में घटिया सड़कों का निर्माण क्यों किया जा रहा है?
- क्या भ्रष्टाचार के घुन ने पूरे व्यवस्था को खोखला कर दिया है?
- भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति जमीन पर क्यों नहीं दिखती है?
- अपने फायदे के लिए राजकोष को अरबों का चूना लगाने वाले विभागीय कर्मचारियों को सिर्फ सस्पेंड कर सरकार जनता को क्या संदेश देना चाहती है?
- क्या मामले को ठंडे बस्ते में डालने के लिए सस्पेंड करने का दिखावा किया जा रहा है?
- क्या ऐसे ही प्रदेश में भ्रष्टाचार को खत्म किया जाएगा?
उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति का ऐलान सत्ता संभालते ही किया था। उस समय पूर्ववर्ती सरकारों के कई घोटालों का जिक्र भी किया गया लेकिन उस पर आज तक जमीनी स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। वहीं गुणवत्तापूर्ण निर्माण और भ्रष्टाचार करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का आदेश मुख्यमंत्री अपने हर समीक्षा बैठक में देते हैं लेकिन इसका असर पड़ता नहीं दिख रहा है। मोटी कमाई के लिए प्रदेश में घटिया सडक़ों का निर्माण किया जा रहा है। ठेका देने से लेकर निर्माण तक भ्रष्टाचार फैला हुआ है।
उधड़ती सड़कें और जगह-जगह जलभराव इसकी दे रही गवाही
हाल यह है कि प्रदेश सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट अयोध्या तक को नहीं छोड़ा गया। रामपथ की उधड़ती सड़कें और जगह-जगह जलभराव इसकी गवाही दे रही है। साफ है निर्माण में जमकर भ्रष्टाचार किया गया है। यही हाल पूरे प्रदेश का है। कई जिलों में हाल में बनी सड़कें उधड़ने लगी है। कई सड़कों पर बड़े-बड़े गड्ढे बन गए हैं। यह स्थिति तब है जब प्रदेश की सडक़ों को चमकाने और गड्ढा मुक्त करने का वादा प्रदेश की भाजपा सरकार ने किया था।
इसमें दो राय नहीं कि यदि ईमानदारी और मानकों के मुताबिक सड़कों का निर्माण किया जाता तो स्थितियां ऐसी नहीं होतीं। ऐसे निर्माणों से प्रदेश सरकार की प्रतिष्ठा धूल-धूसरित हो रही है और इसका संदेश आम जनता के बीच सही नहीं जा रहा है। इस बात में भी कोई शंका नहीं है कि बिना सरकारी कर्मियों और अधिकारियों की मिलीभगत के इतने व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार नहीं किया जा सकता है। यदि सरकार गुणवत्तापूर्ण सडक़ों व अन्य निर्माणों को बनाना चाहती है तो उसे संबंधित कर्मचारियों को जवाबदेह बनाना होगा। साथ ही निर्माण के नुकसान की भरपाई इनसे वसूलने की व्यवस्था करनी होगी अन्यथा स्थितियां शायद ही कभी सुधरें।
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