संपादक की कलम से : गठबंधन के सियासी किंतु-परंतु
Sandesh Wahak Digital Desk : केंद्र की सत्ता से भाजपा को हटाने के लिए जिस जोर-शोर से कांग्रेस समेत कई दलों ने आईएनडीआईए का गठन किया गया, अब वहीं गठबंधन की गांठ खोलने में जुटे हैं। पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में गठबंधन दलों के बीच रार सामने आने लगी है। ये दल अपने सियासी स्वार्थ पूर्ति के साथ समझौता करते नहीं दिख रहे हैं। कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय पार्टी छोटे दलों को केवल लोकसभा चुनाव में महत्व देती दिख रही है, वहीं क्षेत्रीय पार्टियां विधानसभा चुनाव भी मिलकर लडऩे की वकालत कर रही हैं। लिहाजा दोनों ओर से तलवारें खींच गई हैं।
सवाल यह है कि :
- क्या लोकसभा चुनाव तक गठबंधन बरकरार रह पाएगा?
- क्या क्षेत्रीय दल सिर्फ भाजपा को हराने के लिए अपनी सियासी जमीन को छोड़ देंगे?
- आखिर कांग्रेस विधानसभा में छोटे दलों को भागीदार बनाने को तैयार क्यों नहीं है?
- क्या सियासी तकरार का असर विधानसभा चुनाव पर नहीं पड़ेगा?
- क्या बिना कॉमन एजेंडा बनाए गठबंधन को लंबे वक्त तक चलाया जा सकेगा?
जदयू प्रमुख और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सबसे पहले भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोला। उन्होंने विपक्षी दलों को मिलाकर गठबंधन बनाने की न केवल वकालत की बल्कि उसको साकार करने के लिए कोशिश की। इसका परिणाम यह हुआ कि आखिर आईएनडीआईए नाम से गठबंधन बन गया। सपा, तृणमूल, वामदल और आम आदमी पार्टी जैसे क्षेत्रीय दल इसमें शामिल हुए। गठबंधन में दरार न पैदा हो इसके लिए सीटों के बंटवारे को लेकर कोई रणनीति आज तक तैयार नहीं की गई।
क्षेत्रीय दलों को कोई रियायत देने को तैयार नहीं
वहीं अब जब पांच राज्यों छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, मिजोरम, राजस्थान और तेलंगाना में विधानसभा चुनावों की तारीखें घोषित हो गई गठबंधन में आपसी कलह सामने आ गयी है। आम आदमी पार्टी और सपा इस चुनाव में कूद पड़ी है। दोनों पार्टियों का कहना है कि केवल लोकसभा ही नहीं बल्कि विधानसभा चुनाव में भी गठबंधन साथ मिलकर चुनाव लड़े। कायदे से देखा जाए तो बात सही भी है लेकिन कांग्रेस इस मामले में क्षेत्रीय दलों को कोई रियायत देने को तैयार नहीं है।
मसलन, मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने सपा प्रत्याशी के खिलाफ अपना उम्मीदवार उतार दिया है। वहीं आम आदमी पार्टी ने चुनावी राज्यों में ताल ठोंकना शुरू कर दिया है। यही नहीं लोकसभा चुनाव को भी लेकर कांग्रेस नेताओं की बयानबाजी से स्थितियां बिगड़ती जा रही है। यूपी,पंजाब और दिल्ली में कांग्रेस सभी लोकसभा सीटों पर चुनाव लडऩे का आए दिन ऐलान करती रहती है।
आपसी तकरार से जनता में सही संदेश नहीं जा रहा
वहीं बंगाल में कांग्रेस, अपने ही गठबंधन साथी ममता बनर्जी पर निशाना साधती रहती है। इसे लेकर ममता ने अपनी नाराजगी भी जाहिर की है। साफ है, यह स्थितियां गठबंधन के लिए मुफीद नहीं कही जा सकती है। हालांकि यह भविष्य बताएगा कि लोकसभा चुनाव के दौरान गठबंधन किस स्थिति में होगा लेकिन आपसी तकरार से जनता में सही संदेश नहीं जा रहा है।
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