संपादक की कलम से : कनाडा से रिश्तों में तल्खी के मायने
Sandesh Wahak Digital Desk : कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने खालिस्तानी आतंकी की हत्या का आरोप ही नहीं भारत पर मढ़ा बल्कि एक भारतीय राजनयिक को भी निष्कासित कर दिया है। इसके जवाब में भारत ने एक कनाडाई राजनयिक को पांच दिन के अंदर देश छोड़ने का आदेश दिया है। इसके कारण दोनों देशों में तल्खी बढ़ गयी है। यही नहीं ट्रूडो इस मामले को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हवा देने की कोशिश भी कर रहे हैं।
सवाल यह है कि :-
कनाडा से बिगड़ते संबंधों का भारत पर क्या कोई गंभीर असर पड़ेगा?
कनाडा में रहने वाले भारतीय इससे प्रभावित होंगे?
क्या कनाडा की सरकार खालिस्तानी आतंकियों का समर्थन कर अपने लिए कांटे नहीं बिछा रही है?
जी-20 के शिखर सम्मेलन में आतंकवाद के खिलाफ जंग में एकजुटता की बात करने वाले ट्रूडो का दोहरा चरित्र नहीं उजागर हो गया है?
आखिर ऐसी कौन सी मजबूरी है जो कनाडा की सरकार खालिस्तानी आतंकियों के समर्थन में खुलकर सामने आ गई है?
कनाडा में ट्रूडो के सत्ता आने के साथ ही तय हो गया था कि खालिस्तानी समर्थक पार्टी की बैसाखी पर चलने वाली यह सरकार भारत के लिए अच्छी साबित नहीं होगी। यह ट्रूडो की मजबूरी है। 2019 में जब कनाडा में चुनाव हुए तो ट्रूडो की लिबरल पार्टी को बहुमत नहीं मिला था। 338 सदस्यों वाले कनाडा के हाउस ऑफ कॉमन्स में लिबरल पार्टी को महज 157 सीटें मिली थी। जबकि सरकार बनाने के लिए 170 सीटों की जरूरत थी।
दोनों देशों के रिश्तों में कड़वाहट और बढ़ गयी
सरकार बनाने के लिए ट्रूडो को 23 और सांसदों की दरकार थी, जिसे न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी ने पूरा कर दिया। इस पार्टी के 24 सांसद जीतकर संसद पहुंचे थे। इस पार्टी के मुखिया जगमीत सिंह हैं। जगमीत खालिस्तान मूवमेंट के बड़े समर्थक हैं। यही वजह है कि ट्रूडो खालिस्तानियों के खिलाफ कोई टिप्पणी करने से बचते रहे हैं और अब वे अपनी सहयोगी पार्टी को खुश करने के लिए इस प्रकार के बेतुके बयान दे रहे हैं। इससे दोनों देशों के रिश्तों में कड़वाहट और बढ़ गयी है।
दोनों देशों के बीच आयात-निर्यात बराबर
इसका सीधा असर दोनों देशों के व्यापार पर पड़ना तय है। हालांकि दोनों देशों के बीच आयात-निर्यात बराबर है। भारत से कनाडा आभूषण, बेशकीमती पत्थर, फार्मा प्रोडक्ट, रेडिमेड गारमेंट, लाइट इंजीनियरिंग सामान व आयरन एंड स्टील प्रोडक्ट की खरीदारी करता है जबकि भारत कनाडा से दाल, न्यूजप्रिंट, वुड पल्प, एस्बेस्टस, पोटाश, आयरन स्क्रैप लेता है। भारत कनाडा से दाल की सबसे ज्यादा खरीदारी करता है। वहीं कनाडा में भारतीयों की एक बड़ी संख्या रोजी-रोजगार कर रही है।
उसका कनाडा की अर्थव्यवस्था में अहम योगदान है। ऐसे में यदि दोनों देशों के बीच रिश्ते अधिक तल्ख हुए तो व्यापार ठप हो सकता है। हालांकि इससे भारत पर कोई असर नहीं पड़ेगा। वहीं इस प्रकार का आरोप लगाकर ट्रूडो ने अपनी साख पर दाग लगा लिया है। अब पूरी दुनिया ट्रूडो को खालिस्तान समर्थक के रूप में जान गई है।
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