संपादक की कलम से: बांग्लादेश से मजबूत रिश्तों का अर्थ

Sandesh Wahak Digital Desk: बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना और पीएम नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में दोनों देशों के बीच कई अहम समझौते किए गए। इसमें सबसे अहम करार तीस्ता नदी जल संरक्षण रहा। इन समझौतों में व्यापक आर्थिक साझेदारी पर वार्ता शुरू करने और रक्षा संबंधों को बढ़ावा देना भी शामिल रहा। दोनों देशों ने डिजिटल क्षेत्र, ब्लू इकोनॉमी, रेलवे, अंतरिक्ष, हरित प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य और चिकित्सा जैसे अहम क्षेत्रों में संबंधों को मजबूत करने के लिए समझौतों पर हस्ताक्षर किए।

सवाल यह है कि :

  • इन समझौतों से भारत को क्या लाभ होगा?
  • क्या पड़ोसी प्रथम की नीति के तहत बांग्लादेश से संबंध मजबूत करने के लिए ये करार किए गए?
  • क्या तीस्ता जल संरक्षण पर समझौता कर भारत ने चीन पर कूटनीतिक रूप से बढ़त हासिल कर ली है?
  • बांग्लादेश से भारत में लगातार हो रही अवैध घुसपैठ पर कोई बात क्यों नहीं की गई?
  • क्या ये समझौते दोनों देशों के संबंधों को और प्रगाढ़ करेंगे?
  • क्या बांग्लादेश के जरिए भारत, पाकिस्तान और चीन की जुगलबंदी पर नकेल कसने में कामयाब हो सकेगा?

बांग्लादेश के जन्म के साथ ही उससे भारत के संबंध सामान्य तौर पर मधुर रहे हैं। दोनों देशों के बीच अधिक प्रगाढ़ता तब आई जब शेख हसीना ने बांग्लादेश की कमान संभाली। शेख हसीना, बांग्लादेश को आर्थिक और सैन्य दोनों रूपों में मजबूत करना चाहती हैं। यही वजह है कि वे भारत के साथ संबंधों को मजबूती देने की कोशिश करती रही हैं। इस मामले में उन्होंने चीन और पाकिस्तान की गुटबाजी से अपने को दूर रखा है। इसके अलावा वे चीन की विस्तारवादी नीति को लेकर भी सतर्क हैं।

भारत और बांग्लादेश के मजबूत होते रिश्ते

वहीं भारत, दो ओर से दुश्मन देशों चीन-पाकिस्तान से घिरा है। चीन से तनाव चरम पर पहुंच चुका है और सीमा पर दोनों ओर से सेनाएं आमने-सामने हैं जबकि पाकिस्तान से लगातार छद्म युद्ध जारी है। पाकिस्तान यहां आतंकियों को भेज कर हिंसक गतिविधियों को अंजाम देता रहा है। ऐसे में भारत और बांग्लादेश के मजबूत होते रिश्ते न केवल भारत बल्कि बांग्लादेश के लिए भी लाभदायक हैं। भारत यह नहीं चाहता कि बांग्लादेश, चीन के साथ गलबहियां कर समस्याएं बढ़ाए लिहाजा वह बांग्लादेश को प्राथमिकता देता रहा है। पड़ोस में एक मजबूत बांग्लादेश भारत के लिए रणनीतिक रूप से लाभदायक है।

इसमें दो राय नहीं कि हालिया समझौतों से बांग्लादेश को विभिन्न क्षेत्रों में भारत की मदद मिलेगी। वहीं कूटनीतिक रूप से तीस्ता समझौता कर भारत ने चीन को इस क्षेत्र में हस्तक्षेप करने से रोक दिया है। चीन, तीस्ता नदी पर बड़े प्लांट लगाकर यहां पर अपनी मौजूदगी चाहता है। यदि चीन यहां पहुंच जाता तो भारत के लिए समस्याएं पैदा हो जातीं। इन सबके बावजूद भारत सरकार को बांग्लादेश से लगातार हो रहे अवैध घुसपैठ पर वार्ता की जानी चाहिए क्योंकि इससे देश के संसाधनों पर अतिरिक्त दबाव पैदा हो चुका है और इसका हल खोजना होगा।

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