संपादक की कलम से: बांग्लादेश में अराजकता के मायने

Sandesh Wahak Digital Desk: बांग्लादेश में हिंसक आंदोलन के जरिए शेख हसीना सरकार का तख्ता पलट करने और नयी अंतरिम सरकार के गठन के बाद भी अराजकता थमने का नाम नहीं ले रही है। यहां न केवल अल्पसंख्यकों पर हमले तेज कर दिए गए हैं बल्कि भीड़ ने सुप्रीम कोर्ट को भी निशाना बनाया है।

लाखों की भीड़ ने बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट को घेर लिया और वहां के न्यायाधीशों को इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया जा रहा है। बांग्लादेश के मुख्य न्यायाधीश ओबैदुल हसन ने इस्तीफा देने का ऐलान किया है। कुल मिलाकर पड़ोसी मुल्क में हालात बदतर होते जा रहे हैं और यहां की सरकार कानून व्यवस्था कायम करने में पूरी तरह नाकाम हो गई है।

सवाल यह है कि

  • पूरे देश में फैली अराजकता की अंतिम परिणति क्या होगी?
  • क्या बांग्लादेश में अब भीड़तंत्र का शासन चलेगा?
  • क्या यह सब सेना और सरकार के इशारे पर किया जा रहा है?
  • क्या इस प्रकार के हिंसक आंदोलनों से भारत सरकार कोई सबक लेगी?
  • क्या अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा के लिए वैश्विक शक्तियां कोई ठोस कदम उठाएंगी?
  • क्या एक अराजक देश दुनिया के लिए खतरनाक नहीं साबित होगा?
  • क्या शेख हसीना की पार्टी के लोगों के साथ विपक्षी पार्टियां संवैधानिक संस्थाओं को जानबूझकर निशाना बना रही हैं?

आरक्षण के मुद्दे पर शुरू हुआ आंदोलन हिंसक होने के साथ ही शेख हसीना सरकार के खिलाफ बदल गया। लिहाजा शेख हसीना को देश छोडक़र भारत में शरण लेनी पड़ी। इसके बाद बांग्लादेश पूरी तरह अराजकता की भेंंट चढ़ गया है। पूरी दुनिया आज बांग्लादेश में भीड़ की अराजकता को देख रही है। अंतरिम सरकार, सेना और पुलिस भी यहां कानून का राज स्थापित करने में विफल नजर आ रही है। हिंदुओं समेत अन्य अल्पसंख्यक समुदायों पर हमले बढ़ते जा रहे हैं और अल्पसंख्यक अपने घरों को छोडक़र पलायन करने को मजबूर हो रहे हैं।

भारत पर अराजकता का असर पड़ना तय

हैरानी की बात यह है कि संयुक्त राष्ट्र और भारत की चेतावनी के बाद भी यह अराजकता कम होने की जगह बढ़ती जा रही है। हालांकि विश्व के अधिकांश देश बांग्लादेश की स्थिति पर चुप्पी साधे हुए हैं। पड़ोसी मुल्क में फैली अराजकता का सबसे अधिक असर भारत पर पडऩा तय है। जिस प्रकार भारत के कुछ विपक्षी दलों के नेता यहां भी बांग्लादेश जैसी स्थिति होने की बात कह रहे हैं, वह बेहद गंभीर है। यहां भी एक चुनी हुई सरकार को तानाशाह बताने की लगातार कोशिश की जा रही है।

वहीं देश के अंदर गड़बड़ी फैलाने के लिए बांग्लादेश से भी कुछ उपद्रवी तत्व शरणार्थियों के साथ भारत में घुसने की फिराक में हैं। ऐसे में केंद्र सरकार को न केवल सतर्क रहने की जरूरत है बल्कि ऐसे संभावित आंदोलनों से निपटने की रणनीति बनाने की भी जरूरत है। साथ ही दुनिया को भी समझने की जरूरत है कि यदि बांग्लादेश में जल्द कानून व्यवस्था स्थापित नहीं की गई तो इसका घातक असर अन्य देशों पर पडऩा तय है।

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