संपादक की कलम से: भूकंप की तबाही से सबक जरूरी

Sandesh Wahak Digital Desk: भूकंप ने म्यांमार में भारी तबाही मचाई है। अभी तक 1600 से अधिक मौतें हो चुकी हैं। कई शहरों में तबाही का मंजर दिख रहा है। भारत सरकार ने यहां के लोगों की मदद के लिए ऑपेरशन ब्रह्मा चलाया है ताकि अधिक से अधिक राहत और बचाव कार्य किया जा सके। भारत की यह मदद इसलिए भी अहम है क्योंकि यह देश न केवल गरीबी बल्कि गृहयुद्ध की आग में भी जल रहा है।
इसके बीच बड़ा सवाल यह है कि :-
- क्या भारत भूकंपीय तबाही से कोई सबक सीखेगा?
- क्या इस भयानक प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए सरकार ने कोई ठोस नीति अपनाई है?
- क्या भूकंपरोधी मकानों के दिशा-निर्देशों का पालन यहां किया जा रहा है?
- यदि बड़ा भूकंप आया तो भारत में कैसी स्थितियां उत्पन्न हो सकती है?
- क्या भारत के भूकंप प्रभावित क्षेत्रों को लेकर हम गंभीर हैं?
- क्यों प्राकृतिक आपदाओं के मामले में केंद्र और राज्य सरकारें सिर्फ राहत और बचाव पर फोकस करती हैं?
दिल्ली समेत कई राज्य इसके सबसे खतरनाक जोन में
भारत का 60 फीसदी हिस्सा भूकंप प्रभावित है। राजधानी दिल्ली समेत कई राज्य इसके सबसे खतरनाक जोन में हैं। यहां कभी भी इस प्रकार की भूगर्भिक हलचल हो सकती है। बावजूद इसके आज तक इसको लेकर कोई तैयारी नहीं की गयी है। हैरानी की बात यह है कि आम आदमी इससे बचाव के तरीकों को भी नहीं जानता है। भूकंप प्रभावित क्षेत्रों में बहुमंजिला इमारतें बन रही हैं और अधिकांश में भूकंप की तीव्रता सहन करने की शक्ति का परीक्षण तक नहीं किया जाता है। पहाड़ी राज्यों, जहां भूकंप का सबसे अधिक खतरा बना रहता है, कोई ठोस योजना नहीं बनायी गयी है। यहां प्रकृति से छेड़छाड़ जारी है। जिसके कारण असमय भूस्खलन और भूकंप का खतरा और बढ़ता जा रहा है।
पर्यटन के विकास के लिए पहाड़ों को काटकर कंक्रीट के जंगल खड़े किए जा रहे हैं। हालांकि सरकार ने भूकंपरोधी मकान बनाने की गाइडलाइन जारी कर रखी है लेकिन इसका अनुपालन हो रहा है या नहीं इसका निरीक्षण तक नहीं किया जाता है। निगरानी व्यवस्था नहीं होने से हालात बिगड़ चुके हैं। विशेषज्ञों की माने तो भारत में कभी भी बड़ा भूकंप आ सकता है क्योंकि यहां भारतीय टैक्टोनिक प्लेट लगातार यूरेशियन प्लेट से टकरा रही है। इससे बनने वाला गैप बड़े भूकंप का कारण बन सकता है।
केंद्र और राज्य सरकारों को सचेत होने की जरूरत
जाहिर है, हम गंभीर खतरे के साये में है। लिहाजा केंद्र और राज्य सरकारों को इसे लेकर सचेत होने की जरूरत है। चूंकि हम इस प्राकृतिक आपदा को नहीं रोक सकते लेकिन इससे बचाव जरूर कर सकते हैं। इसके लिए जरूरी है कि प्रभावित इलाकों में न केवल भूकंपरोधी इमारतों का निर्माण किया जाए बल्कि बच्चों और अन्य नागरिकों को इससे बचाव का प्रशिक्षण भी दिया जाए। बच्चों को भूकंप से बचाव की जानकारी देने के लिए इसे पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए। यदि ऐसा नहीं किया गया तो बड़े भूकंप के दौरान बड़े विनाश को हम शायद ही रोक पाएंगे।
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