संपादक की कलम से : खालिस्तानी नेटवर्क खतरे की घंटी
Sandesh Wahak Digital Desk : देश के सात राज्यों में खालिस्तानी आतंकी, गैंगस्टर्स व ड्रग तस्करों के ठिकानों पर एनआईए की छापेमारी में भारी मात्रा में मिले गोला-बारूद, हथियार, डिजिटल उपकरण और अन्य आपत्तिजनक सामग्री ने सुरक्षा एजेंसियों को हैरान कर दिया है। वहीं इससे यह भी साफ हो चुका है कि पिछले कुछ सालों में खालिस्तानी आतंकियों का नेटवर्क देश के कई राज्यों में अपनी जड़े फैला रहा है। यह भविष्य में भारत की एकता और अखंडता के लिए खतरे की घंटी से कम नहीं है।
सवाल यह है कि :-
- खालिस्तानी आतंकियों के इस गठजोड़ की भनक स्थानीय पुलिस को क्यों नहीं मिली?
- कई राज्यों में इनको फलने-फूलने का मौका कैसे मिला?
- क्या इनको देश के अंदर सियासी संरक्षण मिल रहा है?
- पंजाब में पुलिस के सामने खालिस्तानी नारा लगाने वालों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की गई?
- क्यों केंद्र के हस्तक्षेप के बाद ही इनके खिलाफ कार्रवाई शुरू हो सकी है?
- राज्यों का खुफिया तंत्र क्या कर रहा है?
- अपहरण, ड्रग्स व हथियारों की सप्लाई से कमाया गया पैसा कहां जा रहा है?
- क्या सिर्फ कुछ छापों से इनकी कमर तोड़ी जा सकती है?
खालिस्तानी आतंकवादियों ने एक बार फिर सिर उठाना शुरू कर दिया है। ये पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई की शह पर विदेशों में बैठकर देश को अस्थिर करने की फिराक में हैं। पंजाब से इनकी जड़ें जुड़ी हुई हैं। विदेशों में चल रहे खालिस्तानी आतंकियों के संगठन यहां धीरे-धीरे अपनी पकड़ मजबूत कर रहे हैं। इसके लिए इन आतंकी संगठनों ने यहां के स्थानीय गैंगस्टर्स और ड्रग तस्करों से गठजोड़ कर लिया है। पाकिस्तान के साथ कनाडा इनका सबसे बड़ा संरक्षक बन चुका है।
खालिस्तानी आतंकवादियों को फंडिंग मुहैया करा रहे
इन देशों में सक्रिय आतंकी संगठन भारत से भागे गैंगस्टर्स को न केवल पनाह दे रहा है बल्कि उनके गिरोहों का इस्तेमाल हिंसक गतिविधियों को संचालित करने में कर रहा है। इन गैंगस्टर्स के साथ स्थानीय ड्रग तस्कर भी जुड़ गए हैं। गैंगस्टर्स बने आतंकी, स्थानीय कुख्यात अपराधी व ड्रग तस्कर मिलकर खालिस्तानी आतंकवादियों को न केवल फंडिंग मुहैया करा रहे हैं बल्कि देश के भीतर हथियारों की सप्लाई भी कर रहे हैं।
अब जब एनआईए ने छापेमारी शुरू की है तो विदेशी धरती से देश के खिलाफ गहरी साजिश की परत-दर-परत खुल रही है। सच यह है कि पंजाब जहां इसकी जड़ें तेजी से बढ़ रही हंै, वहां राज्य सरकार और पुलिस प्रशासन इस मामले पर कोई ठोस कार्रवाई करती नहीं दिखीं। यदि केंद्र ने हस्तक्षेप न किया होता तो हालात कितने खतरनाक हो चुके होते इसका अंदाजा तक नहीं लगाया जा सकता है।
साफ है केंद्र और राज्य सरकारों को सावधान होने और इस खतरनाक होते नेटवर्क को जड़ से उखाड़ फेंकने की जरूरत है। इसके लिए सिर्फ छापेमारी की कार्रवाई से काम नहीं चलेगा बल्कि इनकी आर्थिक कमर भी तोडऩी होगी। साथ ही खालिस्तानी आतंकियों को पनाह देने वाले देशों के खिलाफ वैश्विक स्तर पर कूटनीतिक और राजनीतिक तौर पर दबाब भी बढ़ाना होगा।
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