संपादक की कलम से: जी-7 सम्मेलन में भारत
Sandesh Wahak Digital Desk: इटली में आयोजित जी-7 शिखर सम्मेलन में भारत की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिरकत की। इस दौरान उन्होंने विभिन्न मुद्दों पर समूह के सदस्य देशों का ध्यान आकर्षित किया। साथ ही उन्होंने रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर भारत की नीति एक बार फिर स्पष्टï कर दी। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से दो टूक कहा कि शांति का रास्ता आपसी बातचीत और कूटनीति से होकर जाता है।
इन सबके बीच सबसे बड़ा सवाल यह है कि :
- जी-7 का सदस्य न होने के बाद भी भारत को इसके शिखर सम्मेलन में लगातार क्यों आमंत्रित किया जाता है?
- क्या वैश्विक मंच पर भारत का कद बढ़ा है या चीन की विस्तारवादी नीति से निपटने के लिए इन समूह के देशों को भारत की जरूरत है?
- क्या विशाल जनसंख्या वाले देश भारत में इन देशों को बड़ा बाजार दिख रहा है?
- क्या रूस, अब यूरोपीय देशों के लिए खतरा नहीं रह गया है?
- क्या जी-7 देशों को भारत उभरती महाशक्ति के रूप में दिखने लगा है?
- क्या संयुक्त राष्ट्र के कमजोर होने के बाद जी-7 खुद को इसके समानांतर मजबूत करना चाहता है?
जी-7 यानी ग्रुप ऑफ सेवेन दुनिया की सात अत्याधुनिक अर्थव्यवस्थाओं का एक गुट है, जिसका ग्लोबल ट्रेड और अंतरराष्ट्रीय फाइनेंशियल सिस्टम पर दबदबा है। ये सात देश हैं कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और अमेरिका। इन देशों के निशाने पर रूस की जगह अब चीन हो चुका है। इन देशों ने साफ तौर पर स्वीकार किया है कि दुनिया के लिए रूस नहीं बल्कि चीन सबसे बड़ा खतरा है। यह बात इसलिए भी सही लगती है क्योंकि चीन अपनी विस्तारवादी नीति के कारण छोटे-बड़े सभी देशों में संदेह पैदा कर रहा है। इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र जैसी वैश्विक संस्था दुनिया की समस्याओं और युद्धों को रोकने में विफल साबित हो चुकी है।
वैश्विक मंच पर आगे बढ़ने का प्रयास
यही वजह है कि ये देश अपने समूह को वैश्विक मंच पर आगे बढ़ाने में जुटे हैं। चीन को घेरने के लिए यह समूह लगातार कोशिशें करता रहता है। भारत और चीन में लगातार तनाव बना रहता है लिहाजा भारत भी चीन को घेरने की ऐसी किसी कोशिश में साथ रहता है। जी-7 समूह के देश अच्छी तरह जानते हैं कि चीन को अगर कोई टक्कर दे सकता है तो वह भारत ही है।
इसके अलावा भारत लगातार अंतरिक्ष, अर्थव्यवस्था समेत कई क्षेत्रों में नयी-नयी ऊंचाइयां छू रहा है। वह आज दुनिया की पांचवीं आर्थिक महाशक्ति बन चुका है जबकि कोरोना के बाद से जी-7 देशों की अर्थव्यवस्था कमजोर हुई है। लिहाजा उसे भारत का मार्केट भी चाहिए। यही वजह है कि समूह के हर सम्मेलन में भारत को विशेष अतिथि के रूप में बुलाया जाता है। भारत भी इसका सदस्य बनने की फिराक में है। जी-7 में भारत को अहमियत मिलना वैश्विक कूटनीति के लिहाज से काफी अच्छा है। इससे न केवल इन देशों का उसे साथ मिलता रहेगा बल्कि चीन पर भी प्रकारांतर से दबाव बना रहेगा।
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