संपादक की कलम से: पुष्पक की सफल लैंडिंग के निहितार्थ
Sandesh Wahak Digital Desk: अंतरिक्ष के क्षेत्र में इसरो (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) ने एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है। इसरो ने पुन: प्रयोग योग्य प्रक्षेपण यान यानी आरएलवी पुष्पक का लगातार तीसरी और अंतिम बार सफल परीक्षण किया। इस यान को वायुसेना का चिनूक हेलीकॉप्टर आकाश में लेकर गया और इसे 4.5 किमी की ऊंचाई से छोड़ा गया। इसके बाद यह यान स्वायत्त तरीके से तेज हवाओं के बीच सतह पर उतरने में सफल रहा है।
सवाल यह है कि : –
- इसरो की इस सफलता का अंतरिक्ष के क्षेत्र पर क्या असर पड़ेगा?
- क्या भारत ने अंतरिक्ष में मानव को ले लाने और वापस लाने की तरफ एक और कदम बढ़ा लिया है?
- क्या अब प्रक्षेपण यानों का कई बार प्रयोग किया जा सकेगा?
- क्या अंतरिक्ष बाजार में इसरो की धाक और जम जाएगी?
- क्या भविष्य में अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा पर हमारी निर्भरता कम हो जाएगी?
- क्या इसका असर निकट भविष्य में भारत की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा?
- क्या इस सफलता ने अंतरिक्ष शोध में नया रास्ता खोल दिया है?
पिछले दस सालों से इसरो ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में दुनिया को चौंकाया है। चंद्रमा के दक्षिण धु्रव पर चंद्रयान की साफ्ट लैंडिंग कराना भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए सबसे बड़ी उपलब्धि रही है। ऐसा करने वाला भारत दुनिया का पहला देश है। हालांकि अन्य देशों ने चंद्रमा पर लैंडिंग की लेकिन वह चंद्रमा के दक्षिणी धु्रव पर नहीं उतर सके हैं। वहीं आदित्य एल-1 को सफलतापूर्वक सूर्य के लैंग्रेज बिंदु पर स्थापित किया है।
इस पहल से नासा पर हमारी आत्मनिर्भरता होगी खत्म
अब इसरो ने प्रक्षेपण यान को दोबारा प्रयोग में लाने में महारत हासिल कर ली है। आरएलवी पुष्पक की सफल लैंडिंग इसका प्रमाण है। इस सफलता का सीधा असर प्रक्षेपण यानों के निर्माण में होने वाले खर्च में कमी पर पड़ेगा। वहीं यानों की गड़बड़ियों को ठीक करने में अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा पर हमारी निर्भरता भी खत्म हो जाएगी। अंतरिक्ष में मानव को भेजने के पहले इसरो की यह उपलब्धि काफी अहम है क्योंकि इसके जरिए अंतरिक्ष से पृथ्वी पर मनुष्य को लाने में यह मुख्य भूमिका निभाएगा।
इसरो अब गगनयान के जरिए बिना किसी हिचक के मनुष्य को अंतरिक्ष में भेजने के अपने लक्ष्य पर आगे बढ़ सकेगा। फिलहाल इस प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है और उम्मीद की जा रही है कि भारत के वैज्ञानिक जल्द ही अपने यान के जरिए अंतरिक्ष की सैर करते दिखेंगे। इस सफलता के दूरगामी असर होंगे। दरअसल, अंतरिक्ष बाजार में इसरो के सफल प्रयोगों की धाक जमती जा रही है।
आज भी इसरो विदेशी उपग्रहों को अंतरिक्ष में प्रक्षेपित कर रहा है। छोटे देश भी भारत की इस तकनीक का लाभ लेना चाहेंगे। जाहिर है इसका सीधा असर इसरो और प्रकारांतर से देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। साथ ही ये सफलताएं देश की नयी पीढ़ी में अंतरिक्ष विज्ञान के प्रति रूचि पैदा करने में प्रेरक का काम करेंगी। इसका सीधा फायदा देश को मिलेगा। जाहिर है, इस सफलता ने भारत की अंतरिक्ष उपलब्धियों में चार चांद लगा दिए हैं।
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