संपादक की कलम से: लोगों के जीवन से खिलवाड़ कब तक?

Sandesh Wahak Digital Desk: तमाम दावों के बावजूद आम आदमी का जीवन सुरक्षित नहीं रह गया है। उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस वे पर हुए सडक़ हादसे में बस में सवार 18 यात्रियों की मौत हो गई जबकि 19 से अधिक लोग घायल हो गए। सडक़ पर लाशों का ढेर लग गया। इसके पहले अमेठी और हरदोई में हुए हादसे में 9 लोगों की जान चली गयी।

सवाल यह है कि :

  • सड़क सुरक्षा अभियान चलाने के बाद भी हादसे थमने का नाम क्यों नहीं ले रहे हैं?
  • आए दिन सडक़ दुर्घटना में लोगों की जानें क्यों जा रही हैं?
  • यातायात नियमों की धज्जियां उड़ाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है?
  • क्या आम आदमी के जीवन से खिलवाड़ करने की छूट किसी को दी जा सकती है?
  • देश और राज्य सरकारें हादसों को लेकर गंभीर क्यों नहीं हैं?
  • सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की धज्जियां क्यों उड़ाई जा रही हैं?
  • क्या हादसे देश और राज्य की अर्थव्यवस्था पर विपरीत असर नहीं डाल रहे हैं?
  • क्या नशे में वाहन चलाना, सड़कों का मानक के मुताबिक निर्माण न होना और अप्रशिक्षत ड्राइवरों के कारण हालात बिगड़ते जा रहे हैं?

उत्तर प्रदेश हादसों का राज्य बनता जा रहा है। यहां रोजाना हो रहे सडक़ हादसे में लोगों की जान जा रही है। हालांकि मुख्यमंत्री ने यातायात नियमों का कड़ाई से अनुपालन कराने के सख्त आदेश दे रखे है बावजूद स्थितियों पर कोई नियंत्रण नहीं दिख रहा है। इन हादसों के पीछे कोई एक कारण जिम्मेदार नहीं है। मानक के मुताबिक सडक़ों का निर्माण नहीं होने के कारण प्रदेश में हादसे हो रहे हैं। इन पर बने स्पीड ब्रेकर और गड्ढे हादसों को न्योता दे रहे हैं।

नाबालिग बच्चे भी सड़कों पर भरते हैं फर्राटा

हैरानी की बात यह है कि अप्रशिक्षित और नाबालिग बच्चे भी सड़कों पर फर्राटा भरते नजर आते हैं। ये वाहन चालक यातायात के नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाते फिर रहे हैं। कई बार ये टै्रफिक सिग्नल को भी तोड़ देते हैं। नशे और मोबाइल पर बात करते हुए वाहन चलाने के कारण भी हादसे हो रहे हैं। हाईवे पर गति सीमा का निर्धारण होने के बावजूद इस पर तेज रफ्तार से वाहनों का संचालन हो रहा है। वहीं दूसरी ओर पुलिस प्रशासन यातायात नियमों का उल्लंघन करने वालों का चालान तक काटने से बचता है। कठोर कार्रवाई नहीं किए जाने के कारण वाहन चालकों के हौसले बुलंद हैं।

वे लगातार सरकार और प्रशासन को ठेंगा दिखा रहे हैं। इन हादसों में मरने वालों को मुआवजा प्रदान करने में सरकार के कोष पर अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है। इसके अलावा लोगों के परिवारों पर दुख का पहाड़ टूट पड़ता है। सरकार को चाहिए कि वह इस मामले पर गंभीरता से विचार करे और हादसों पर लगाम लगाने के लिए ठोस रणनीति बनाकर उसे जमीन पर उतारे। इसके साथ ही पुलिस प्रशासन को चाहिए कि वह ऐसे वाहन चालकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करे ताकि वे ऐसा दोबारा करने से परहेज करें। यदि ऐसा नहीं किया गया तो निश्चित रूप से स्थितियां और भी बिगड़ जाएंगी।

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