संपादक की कलम से: सीबीआई जांच से उम्मीद
Sandesh Wahak Digital Desk: नीट परीक्षा में धांधली मामले की जांच सीबीआई ने संभाल ली है। इस मामले में केंद्रीय एजेंसी ने तीन राज्यों गुजरात, बिहार और राजस्थान पुलिस द्वारा की जा रही जांच को अपने हाथ में ले लिया है। महाराष्ट्र में एक शिक्षक को गिरफ्तार भी किया गया है। टीम जिस तेजी से जांच को आगे बढ़ा रही है उससे सरकार और अभ्यर्थियों दोनों को उम्मीद है कि जल्द ही दूध का दूध और पानी का पानी अलग हो जाएगा। वहीं सरकार ने परीक्षाओं को पारदर्शी बनाने के लिए सुधार समिति गठित की है।
सवाल यह है कि :-
- क्या सीबीआई की जांच रिपोर्ट के बाद दोषियों के खिलाफ त्वरित गति से कार्रवाई की जा सकेगी?
- क्या कड़े कानूनों का पालन किया जा सकेगा?
- क्या पूरे देश से नकल माफिया और सॉल्वर गैंग के नेटवर्क को तोड़ा जा सकेगा?
- क्या सीबीआई की जांच से उन सफेदपोशों से पर्दा उठा सकेगा, जिन पर लगातार सवाल उठ रहे हैं?
- क्या अभ्यर्थियों को न्याय मिल सकेगा?
- क्या केंद्र और राज्य सरकारें परीक्षा प्रक्रिया से हुई फजीहत से सबक सीखेंगी?
- क्या आने वाले दिनों में परीक्षाओं में धांधली को रोका जा सकेगा?
पिछले कई सालों से जिस तरह बोर्ड से लेकर प्रतियोगी परीक्षाओं तक की शुचिता भंग हुई है उसने पूरे सरकारी तंत्र और परीक्षा एजेंसियों की साख को मटियामेट कर दिया है। पेपर लीक से लेकर नकल कराकर परीक्षा पास कराने वाले सॉल्वर गैंग ने पूरी व्यवस्था में सेंध लगा रखी है। नीट इसकी एक बानगी भर है। हालांकि इस मामले ने जब तूल पकड़ लिया तो सरकार बैक फुट पर आई और मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी। साथ ही एनटीए के महानिदेशक को पद से हटा दिया।
लाखों रुपये में बेचा गया था पेपर
वहीं परीक्षा की शुचिता को बनाए रखने के लिए परीक्षा सुधार समिति का गठन भी किया गया। कई अभ्यर्थियों ने भी सुप्रीम कोर्ट से पूरे मामले की जांच सीबीआई से कराने का अनुरोध किया था। नीट में पेपर लीक मामले की पहली सूचना बिहार से आई थी और यहां एक अभ्यर्थी ने बाकायदा इसकी पुष्टि भी की। यह भी बताया कि यह पेपर लाखों रुपये में अभ्यर्थियों को बेचा गया। इसके तार महाराष्ट्र, बिहार, राजस्थान से लेकर यूपी तक जुड़े मिले हैं।
हालांकि सीबीआई मामले की जांच कर रही है और रिपोर्ट आने के बाद ही साफ हो सकेगा कि इसमें कौन लोग शामिल थे। इन सबके बावजूद इसमें दो राय नहीं कि पेपर लीक बिना सरकारी कर्मियों के मिलीभगत के संभव नहीं हो सकता है। सरकार ने भी एनटीए में गड़बड़ी का अंदेशा व्यक्त किया है। जाहिर है एनटीए के तमाम अधिकारी और कई सफेदपोश भी सीबीआई की रडार पर हैं। इन सबके बावजूद केंद्र सरकार के सामने सबसे बड़ी समस्या पेपर लीक को रोकना व परीक्षा की शुचिता को स्थापित करना है। युवाओं को भी सरकार से इसकी उम्मीद है। अब देखना यह है कि सरकार इस समस्या से कैसे निपटती है। फिलहाल सरकार और अभ्यर्थियों की उम्मीद सीबीआई की जांच पर टिकी है।
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