संपादक की कलम से: जानलेवा सड़क हादसे
Sandesh Wahak Digital Desk: उत्तर प्रदेश के उन्नाव में एक भीषण सड़क हादसे में आठ लोगों की मौत हो गयी जबकि 20 लोग घायल हो गए। ऐसी दुर्घटनाएं प्रदेश के विभिन्न जिलों में आए दिन हो रही हैं। सडक़ हादसों के दौरान होने वाली मौतों पर सुप्रीम कोर्ट भी अपनी चिंता जाहिर कर चुका है। खुद सीएम योगी इसे लेकर चिंतित हैं और हादसों को रोकने के लिए कई निर्देश जारी कर चुके हैं। बावजूद इसके स्थितियां और भी बिगड़ती जा रही हैं।
सवाल यह है कि :
- सड़क हादसों पर लगाम क्यों नहीं लग पा रही है?
- सड़क सुरक्षा जागरूकता अभियान बेअसर क्यों दिख रहा है?
- इन मौतों के लिए कौन जिम्मेदार है?
- क्या हादसों की बड़ी वजह यातायात नियमों का उल्लंघन है?
- जन-धन की हानि को रोकने के लिए प्रदेश सरकार कोई ठोस योजना क्यों नहीं बना रही है?
- आखिर यातायात नियमों का कड़ाई से अनुपालन क्यों नहीं सुनिश्चित किया जाता है?
- क्या जनता को जागरूक किए बिना हादसों को कम किया जा सकता है?
प्रदेश में हादसों का ग्राफ साल-दर-साल बढ़ता जा रहा है। हर साल सैकड़ों लोग अपनी जानें गंवा रहे हैं। कई स्थायी रूप से अपंग हो जाते हैं। इनके पीछे कई कारण हैं। मसलन, गड्ढा युक्त और मानक विहिन बनायी गयी सडक़ें, नशे में गाड़ी चलाना, यातायात नियमों की धज्जियां उड़ाना आदि। हकीकत यह है कि प्रदेश की सडक़ों का हाल अभी भी पूरी तरह सही नहीं हो सका है। राजधानी लखनऊ तक की कई सडक़ें आज तक गड्ढा मुक्त नहीं हो सकी हैं।
मानकों को दरकिनार कर मनमाने तरीके से स्पीड ब्रेकर बनाए गए
यही नहीं कई जगहों पर मानकों को दरकिनार कर मनमाने तरीके से स्पीड ब्रेकर बनाए गए हैं। ये हादसों को न्योता देते रहते हैं। सडक़ सुरक्षा जागरूकता अभियान के बावजूद लोग सडक़ों पर यातायात नियमों की धज्जियां उड़ाते हैं। कार चालक सीट बेल्ट और दो पहिया वाहन चालक हेलमेट लगाने में लापरवाही बरतते हैं। वे सडक़ों पर वाहन चलाते समय मोबाइल का इस्तेमाल करते हैं। नशे में वाहन चलाने के कारण भी दुर्घटनाओं में इजाफा हुआ है। हाईवे का हाल और भी खराब है।
यहां निर्धारित स्पीड में अधिकांश चालक वाहन नहीं चलाते हैं। न ही वे सडक़ किनारे बनाए गए संकेतों पर ध्यान देते हैं। हैरानी की बात यह है कि सडक़ हादसों को नियंत्रित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट भी राज्य सरकारों को आदेश जारी कर चुका है लेकिन इस पर आज तक कोई ध्यान नहीं दिया गया है। जब राजधानी में यह हाल है तो अन्य जिलों की व्यवस्थाओं का आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है।
सच यह है कि हादसों को तब तक नियंत्रित नहीं किया जा सकता है जब तक सडक़ों को दुरुस्त नहीं किया जाएगा और यातायात नियमों का कठोरता से पालन नहीं कराया जाएगा। इसके अलावा लोगों में ट्रैफिक सेंस विकसित करने के लिए सरकार को सतत जागरूकता अभियान चलाना होगा। यदि ऐसा नहीं हुआ तो स्थितियां बदतर होती जाएंगी और यह प्रदेश की अर्थव्यवस्था के लिए भी घातक होगा।
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