संपादक की कलम से: आर्थिक सर्वेक्षण और चुनौतियां
Sandesh Wahak Digital Desk: केंद्र की मोदी सरकार ने बजट से पहले आर्थिक सर्वेक्षण दोनों सदनों में पेश कर दिया है। सर्वेक्षण में बताया गया है कि आने वाले दिनों में विकास दर सात फीसदी के आस-पास रहेगी। इसमें बेरोजगारी घटने की बात भी कही गयी है। सर्वे के अनुसार खराब ऋणों की विरासत के कारण पिछले एक दशक में विनिर्माण क्षेत्र में रोजगार सृजन कम हुआ पर 2021-22 की तुलना में इसमें सुधार हुआ है। वहीं सकल स्थायी पूंजी निर्माण में 2023-24 में वास्तविक रूप से 9 प्रतिशत की वृद्धि हुई। देश का राजकोषीय घाटा पिछले वर्ष की तुलना में 2023 में 1.6 प्रतिशत अंक बढ़ा।
सवाल यह है कि :-
- क्या आर्थिक सर्वेक्षण में दी गयी आर्थिक स्थिति की जानकारी जमीनी हकीकत से मेल खाती है?
- सरकार के सामने क्या-क्या चुनौतियां है?
- क्या महंगाई-बेरोजगारी से निपटने के लिए कोई ठोस पहल की जाएगी?
- क्यों विकास दर में वृद्धि के बावजूद लोगों की आय में कमी आ रही है?
- रोजगार सृजन के क्षेत्र में जनसंख्या के सापेक्ष संतोषजनक वृद्धि क्यों नहीं हो पा रही है?
- क्या समाज में जारी समस्याओं को हल किए बिना आर्थिक वृद्धि दर को प्राप्त किया जा सकता है?
- क्या बजट में आर्थिक सर्वेक्षण में उठायी गई समस्याओं के समाधान के लिए कोई ठोस प्रयास होते दिखेंगे?
पिछले कुछ वर्षों में देश में अर्थव्यवस्था पटरी पर सही ढंग से नहीं आ पा रही है। महंगाई दर आरबीआई के निर्धारित लक्ष्य 4 फीसदी से ज्यादा बनी हुई है। बेरोजगारी के आंकड़े भले ही आल इज वेल की बात कर रहे हो लेकिन स्थिति ठीक नहीं है। खुद आर्थिक सर्वेक्षण में स्वीकार किया गया है कि बेरोजगारी के मुद्दे पर सरकार अपेक्षा अनुरूप प्रदर्शन नहीं कर सकी है। इसका सीधा असर बाजार पर पड़ रहा है। आम आदमी की क्रय शक्ति घटने के कारण मांग-आपूर्ति में असंतुलन पैदा हो गया है। इससे बाजार में पूंजी का प्रवाह तीव्र गति से नहीं हो रहा है।
महंगाई-बेरोजगारी सबसे बड़ी चुनौती
इसका सीधा असर देश की अर्थव्यवस्था और विकास पर पड़ रहा है। अब जब बजट आने ही वाला है, सरकार के सामने महंगाई-बेरोजगारी सबसे बड़ी चुनौती साबित होगा। जब तक इन पर लगाम नहीं लगाई जाती है तब तक स्थितियों में सुधार की संभावना नहीं है। महंगाई दर में कमी नहीं होने से होम और अन्य ऋणों पर अधिक ईएमआई आम आदमी को भरनी होगी। इससे उसके क्रय शक्ति पर भी प्रकारांतर से असर पड़ेगा।
हालांकि आर्थिक सर्वेक्षण ने विकास दर की सुनहरी तस्वीर पेश की है लेकिन यह जमीन पर उत्पन्न स्थितियों को देखते हुए सही नहीं कही जा सकती है। सरकार को चाहिए कि वह बजट और अनुपूरक बजट के जरिए ऐसी व्यवस्था सुनिश्चित करे, जिससे आम आदमी को राहत मिले। महंगाई और बेरोजगारी जैसी चुनौतियों से निपटना सरकार के लिए बड़ी समस्या होगी। यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इन समस्याओं से किस तरह निपटती है और जनता को राहत देती है।
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