संपादक की कलम से : जी-20 सम्मेलन का हासिल
Sandesh Wahak Digital Desk : देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में दो दिवसीय जी-20 का शिखर सम्मेलन पूरी भव्यता के साथ संपन्न हो गया। अगला सम्मेलन ब्राजील की मेजबानी में किया जाएगा। सम्मेलन में एक ओर 55 देशों के अफ्रीकी संघ को स्थायी सदस्य बनाया गया तो दूसरी ओर नई दिल्ली घोषणापत्र को सर्वसम्मति से स्वीकार किया गया। यूक्रेन मुद्दे पर भी चर्चा की गयी।
सवाल यह है कि :-
- सम्मेलन का हासिल क्या है?
- क्या जिस घोषणापत्र पर दुनिया के शक्तिशाली देशों के समूह ने अपनी मुहर लगाई है, वह हकीकत में उतरेगा?
- क्या सम्मेलन की सफलता से दुनिया भर में भारत का कद बढ़ा है?
- क्या आतंकवाद-भ्रष्टाचार के खिलाफ किए गए वादे निभाए जाएंगे?
- क्या निकट भविष्य में एक अर्थ, एक फैमिली, एक भविष्य की थीम साकार होगी?
- क्या वैश्विक संस्थाओं में सुधार की संभावना तलाशी जाएगी?
- क्या इसकी सफलता भारत की आर्थिकी पर प्रभाव डालेगी?
भारत की मेजबानी में हुए जी-20 सम्मेलन के पहले दिन ही नई दिल्ली लीडर्स डिक्लेरेशन (घोषणापत्र) का सर्वसम्मति से पारित होना, इसकी सबसे बड़ी और ऐतिहासिक उपलब्धि रही है। 37 पन्नों का यह घोषणापत्र वसुधैव कुटुंबकम की अवधारणा पर आधारित रहा। इसके 83 बिंदुओं पर दुनिया के दिग्गजों ने अपने हस्ताक्षर किए और एक बेहतर विश्व बनाने का वादा किया।
घोषणा पत्र में भ्रष्टाचार, लैंगिक असमानता व आतंकवाद से लड़ने पर जोर
यही नहीं रूस और चीन जैसे देशों ने भी किसी प्रकार की आपत्ति नहीं दर्ज करायी। यह सब भारत के प्रयासों के कारण संभव हो सका। सभी ने मजबूत, टिकाऊ, संतुलित और समावेशी विकास पर ही नहीं बल्कि दुनिया में व्याप्त भुखमरी, भ्रष्टाचार, लैंगिक असमानता व आतंकवाद से लड़ने पर जोर दिया। इसमें दो राय नहीं कि यदि इस घोषणापत्र को 50 फीसदी देश भी ईमानदारी से लागू कर देंगे तो दुनिया बेहतर बन जाएगी।
इसके अलावा इसकी एक और बड़ी उपलब्धि रही है। भारत की अध्यक्षता में अफ्रीकी संघ को जी-20 का स्थायी सदस्य बनाया गया। इसके साथ ही समूह अनौपचारिक रूप से जी-21 में तब्दील हो गया। यह इस बात को दर्शाता है कि भारत केवल सबको साथ लेकर चलने की बात ही नहीं करता है बल्कि उपेक्षित और गरीब देशों को भी विकास में भागीदार बनाने के लिए कटिबद्ध है। ग्लोबल साउथ की आवाज उठाकर और अफ्रीकी संघ को समूह का सदस्य बनाकर भारत ने दिल्ली से दुनिया को बड़ा संदेश दिया है।
साथ ही यह उदाहरण भी पेश किया है कि वैश्विक संस्थाएं खुद को बदलें और अन्य देशों को भी भागीदारी प्रदान करें। कुल मिलाकर इस सम्मेलन में वैश्विक देशों के बीच गुटबाजी या संवादहीनता कहीं नहीं दिखी और सभी दुनिया को बेहतर बनाने पर एकमत रहे। इस सफलता ने दुनिया में भारत का कद निश्चित रूप से बहुत बढ़ा दिया है। साथ ही यह घोषणापत्र आने वाले दिनों में भारत की आर्थिकी पर भी सकारात्मक असर डालेगी। उम्मीद है कि दिल्ली घोषणापत्र को सदस्य देश जल्द साकार करेंगे।
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