संपादक की कलम से: सेना में Drone की अहमियत
भारत सरकार, सेना को न केवल अत्याधुनिक हथियारों बल्कि सैन्य कार्यवाही के दौरान बेहद उपयोगी ड्रोन (Drone) से लैस करने की रणनीति पर भी तेजी से काम कर रही है। इसके लिए उसने सबसे खतरनाक अमेरिकी ड्रोन 30 एमक्यू-9बी प्रीडेटर ड्रोन की खरीद को औपचारिक मंजूरी दे दी है।
Sandesh Wahak Digital Desk: भारत सरकार, सेना को न केवल अत्याधुनिक हथियारों बल्कि सैन्य कार्यवाही के दौरान बेहद उपयोगी Drone से लैस करने की रणनीति पर भी तेजी से काम कर रही है। इसके लिए उसने सबसे खतरनाक अमेरिकी ड्रोन 30 एमक्यू-9बी प्रीडेटर ड्रोन की खरीद को औपचारिक मंजूरी दे दी है। प्रधानमंत्री की अमेरिकी यात्रा पर जाने के पहले इस सौदे पर मुहर लगाने का फैसला लिया गया है। जाहिर है, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ पीएम मोदी की बैठक में इस पर निर्णायक परिणाम सामने आएंगे।
सवाल यह है कि…
- सेना (Army) को ड्रोन (Drone) की जरूरत क्यों पड़ रही है?
- क्या भविष्य का युद्ध मानवरहित विमानों और ड्रोनों से लड़ा जाएगा?
- क्या सैन्य ड्रोन लड़ाकू विमानों से भी खतरनाक साबित होंगे?
- अमेरिकी ड्रोन को ही भारत ने प्राथमिकता क्यों दी?
- क्या चीन व पाकिस्तान जैसे दुश्मनों से घिरे भारत के लिए ड्रोन सेना के लिए अनिवार्य बन चुके हैं?
- क्या इस सौदे से भारत-अमेरिका के बीच रणनीतिक साझेदारी का एक नया अध्याय शुरू होगा?
किसी भी देश की सुरक्षा उसकी अत्याधुनिक हथियारों और सैन्य तकनीक से लैस सेना करती है। आज जब पूरी दुनिया में कई देश एक-दूसरे से स्थानीय युद्ध कर रहे है, ऐसे में सेना को हर तरीके से सक्षम बनाने की जरूरत भी विकसित और विकासशील देशोंं को महसूस हो रही है। भारत भी इससे अछूता नहीं है।
दो मोर्चे पर लड़ने की है चुनौती
चीन और पाकिस्तान से जारी तनाव के बीच भारत को अपनी सेना को न केवल दो मोर्चों पर एक साथ निपटने के लिए तैयार रखने की चुनौती है बल्कि उसे घातक हथियारों और आधुनिक सैन्य तकनीक से लैस करने की जरूरत है। यही वजह है कि वह एक ओर मिसाइल और लड़ाकू विमानों का न केवल खुद निर्माण कर रहा है बल्कि बेहतर हथियारों की खरीद में भी पीछे नहीं है। इसी कड़ी में अमेरिका से ड्रोन का सौदा किया गया है। यह इसलिए भी जरूरी है क्योंकि ड्रोन के जरिए (via drone) दुश्मन को न केवल चौंकाया जा सकता है बल्कि बिना किसी जनहानि के उसको भारी क्षति भी पहुंचायी जा सकती है।
अब Drone से ही मिलेगा दुश्मनों को जवाब
रूस-यूक्रेन युद्ध में ड्रोन के प्रयोगों (Use of drones in Russia-Ukraine war) ने भारत को इसकी अहमियत बता दी है। अमेरिका का यह ड्रोन न केवल वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीनी दुश्मनों पर नजर रखेगा बल्कि चीन और पाकिस्तान से होने वाली घुसपैठ को रोकने में भी इससे मदद मिलेगी। यह ड्रोन कितना खतरनाक है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यह दुश्मनों की सभी तरह की मिसाइल को मार गिराने और जवाबी आक्रमण की क्षमता रखता है। वह दुश्मन की सीमा में घुस कर आसानी से तबाही मचाकर चुपचाप लौट सकता है।
साफ है कि जब तक देश में सेना के उपयोग में आने वाले ड्रोन की अत्याधुनिक तकनीक का विकास नहीं हो जाता, इसकी खरीद बेहद जरूरी है। इसमें दो राय नहीं कि यह सौदा न केवल भारत बल्कि अमेरिका के लिए भी लाभदायक साबित होगा। यह दोनों देशों की नयी रणनीति साझेदारी पर भी मुहर लगा देगा।
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