संपादक की कलम से: रूस में उठे बगावती सुर के निहितार्थ
रुस - यूक्रेन युद्ध के बीच राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बेहद विश्वसनीय येवेनी प्रीगोझिन ने सशस्त्र विद्रोह का ऐलान कर रूसी सरकार को स्तब्ध कर दिया।
Sandesh Wahak Digital Desk: रुस – यूक्रेन युद्ध के बीच राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बेहद विश्वसनीय येवेनी प्रीगोझिन ने सशस्त्र विद्रोह का ऐलान कर रूसी सरकार को स्तब्ध कर दिया। यही नहीं उसकी निजी सेना वैग्नर ग्रुप के लड़ाकोंं ने रोस्तोव शहर पर कब्जा भी कर लिया और वे मॉस्को की ओर बढऩे लगे थे। हालांकि बाद में बेलारूस के राष्ट्रपति लुकाशेको की मध्यस्थता के बाद प्रीगोझिन मान गए और उनके लड़ाके बैरकों में वापस चले गए। कुल मिलाकर रूस में होने वाला खून-खराबा रुक गया और पुतिन को फौरी तौर पर राहत मिल गयी है। बावजूद इसके तनाव अभी भी बरकरार है।
सवाल यह है कि…
- पुतिन के विश्वासपात्र प्रीगोझिन ने ऐसा क्यों किया?
- यूक्रेन युद्ध के दौरान इस प्रकार के विद्रोही स्वर क्या वर्तमान रूसी सरकार के लिए खतरे की घंटी है?
- क्या यूक्रेन, रूसी सेना और वैग्नर ग्रुप के बीच उपजे असंतोष का फायदा उठाने की कोशिश करेगा?
- क्या इससे रूस को यूक्रेन में मिली बढ़त पर रोक लग जाएगी?
- क्या यह सब अमेरिकी खुफिया एजेंसी के इशारे पर किया गया?
- क्या अपने कड़े फैसलों के लिए मशहूर पुतिन आने वाले दिनों में वैग्नर ग्रुप, प्रिगोझिन और यूक्रेन के खिलाफ जोरदार पलटवार करेंगे?
- क्या इससे पुतिन सरकार की साख को बट्टा लगा है?
इसलिए भडक़ उठे प्रिगोझिन
प्रिगोझिन ने विद्रोह का ऐलान अचानक नहीं किया। पुतिन ने यूक्रेन में तबाही मचाने के लिए रूसी सेना के साथ अपने विश्वस्त प्रिगोझिन के नेतृत्व में वैग्नर ग्रुप के 25 हजार लड़ाकों को भी भेजा था। ये लड़ाके अपनी आक्रामकता और क्रूरता के लिए जाने जाते हैं। इन लड़ाकों के यूक्रेन की धरती पर पहुंचने के बाद रूसी सेना काफी मजबूत हुई और उसने यहां के कई इलाकों पर कब्जा कर लिया लेकिन असली समस्या तब आई जब रूसी सेना की ओर से इनको रसद और गोला बारूद की मदद कम दी जाने लगी। इससे प्रिगोझिन भडक़ उठे और उन्होंने अचानक सरकार से दो-दो हाथ करने का फैसला लिया और विद्रोह का ऐलान कर दिया।
रूस की आर्थिक हालत पर पड़ेगा असर
प्रिगोझिन ने ऐसे समय विद्रोह का ऐलान किया जब रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध जारी है। यही नहीं लंबे युद्ध के कारण रूस के नागरिकों में भी असंतोष पनप रहा है। अमेरिका और यूरोपीय देश रूस पर तमाम आर्थिक प्रतिबंध लगा चुके हैं। इसके कारण रूस की आर्थिक हालत पर भी नकारात्मक असर पड़ रहा है।
साफ है इस विद्रोह के ऐलान ने पुतिन की साख और उसके यूक्रेन से युद्ध के निर्णय पर सवाल उठा दिए हैं। रूस में अफरातफरी का महौल बन गया है। इसका असर निश्चित तौर पर पुतिन सरकार पर पड़ेगा।
हालांकि, पुतिन ने विद्रोह नहीं होने दिया लेकिन इससे यूक्रेन के खिलाफ उनके युद्ध अभियान पर नकारात्मक असर पडऩा तय है। इसके अलावा पुतिन को रूसी सेना और प्रिगोझिन की निजी आर्मी के बीच संतुलन साधने का सटीक हल भी खोजना होगा। यदि पुतिन इसमें असफल रहे तो उनके यूक्रेन युद्ध अभियान और साख दोनों को बड़ा झटका लगेगा।
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