संपादक की कलम से: मादक पदार्थों का धंधा और लचर तंत्र
ग्रेटर नोएडा में पकड़ी गयी फैक्ट्री से साफ है कि ड्रग माफिया उत्तर प्रदेश में न केवल जड़ें जमा चुके हैं बल्कि यहां से देश-विदेश तक मादक पदार्थों की सप्लाई कर रहे हैं।
Sandesh Wahak Digital Desk: सीएम योगी के ड्रग माफिया के नेटवर्क को खत्म करने के आदेश के अगले दिन ही यूपी पुलिस ने ग्रेटर नोएडा के सूरजपुर गांव के एक मकान में चल रही लैब से 300 करोड़ से अधिक की ड्रग्स (मादक पदार्थ) बरामद की और नौ विदेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया। यहां से ड्रग्स देश और विदेशों में भेजी जा रही थी। ये बरामदगी यह बताने के लिए काफी है कि प्रदेश में ड्रग माफिया का नेटवर्क कितना मजबूत हो चुका है और ये मादक पदार्थों के जरिए युवा पीढ़ी को बर्बाद करने में जुटे हैं।
सवाल यह है कि…
- कड़े कानूनों के बावजूद प्रदेश में मादक पदार्थों का काला कारोबार क्यों फल-फूल रहा है?
- स्थानीय से अंतरराष्ट्रीय स्तर तक फैले इसके नेटवर्क को ध्वस्त करने में सरकारी तंत्र विफल क्यों है?
- खुफिया तंत्र और पुलिस आखिर क्या कर रही है?
- क्या कुछ लोगों को पकड़ लेने भर से मादक पदार्थों के कारोबार पर लगाम लग जाएगी?
- क्या अपराधियों को जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाने में देरी के कारण स्थितियां बिगड़ती जा रही हैं?
- प्रदेश में मादक पदार्थों के अवैध निर्माण, खरीद-फरोख्त और ड्रग टै्रफिकिंग के खिलाफ व्यापक और सतत अभियान क्यों नहीं चलाया जा रहा है?
- क्या युवा पीढ़ी के जीवन और भविष्य से खिलवाड़ करने की छूट किसी को दी जा सकती है?
प्रदेश में लगातार फ़ैल रहा मादक पदार्थों का काला धंधा
प्रदेश में ड्रग्स का काला कारोबार कई गुना तेजी से फैल रहा है। इसके पीछे स्थानीय से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर तक के ड्रग माफिया के नेटवर्क काम कर रहे हैं। ग्रेटर नोएडा में पकड़ी गयी फैक्ट्री से साफ है कि ड्रग माफिया उत्तर प्रदेश में न केवल जड़ें जमा चुके हैं बल्कि यहां से देश-विदेश तक मादक पदार्थों की सप्लाई कर रहे हैं। चूंकि निर्माण के दौरान ड्रग्स की महक दूर तक पहुंचती है इसलिए इसका उत्पादन शहर के किनारे बसे गांव में किया जाता है।
आंकड़ों की माने तो भारत के करीब 2.1 फीसदी लोग मादक पदार्थों का सेवन करते हैं, जिसमें मिजोरम पहले, पंजाब दूसरे और दिल्ली तीसरे नंबर पर हैं। दिल्ली और एनसीआर में यूपी और आसपास के राज्यों से मादक पदार्थों की सप्लाई की जा रही है। ड्रग सप्लायर्स की नजर युवा पीढ़ी पर है और वे इनमें नशे की लत लगा रहे हैं।
सजा ना मिलने से बढ़ते हैं माफियाओं के हौसले!
हैरानी की बात यह है कि प्रदेश के तमाम इलाकों में मादक पदार्थों का धंधा तेजी से फैल रहा है और पुलिस को इसकी भनक तक नहीं लगती है। धंधे के बढऩे का बड़ा कारण आरोपियों को जल्द से जल्द सजा नहीं दिला पाना भी है। एनडीपीएस अधिनियम के तहत तमाम मुकदमे लंबित पड़े हैं। सजा नहीं मिलने के कारण ड्रग माफिया के हौसले बुलंद हैं।
साफ है यदि प्रदेश सरकार मादक पदार्थों पर नियंत्रण चाहती है तो उसे इसके पूरे नेटवर्क को खत्म करना होगा और आरोपियों को त्वरित सजा दिलाना सुनिश्चित करना होगा। इसके लिए ड्रग माफिया के खिलाफ सतत अभियान चलाना और मुकदमों के त्वरित निपटारे के लिए प्रदेश भर में विशेष न्यायालयों की स्थापना भी करनी होगी।
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