संपादक की कमल से : मालदीव से बढ़ते तनाव के मायने
Sandesh Wahak Digital Desk: भारत और मालदीव के संबंधों में तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है। मालदीव की पूर्व बर्खास्त मंत्री मरियम शिउना ने एक बार फिर भारत विरोधी टिप्पणी की है। उन्होंने भारतीय तिरंगे में अंकित अशोक चक्र को गलत तरह से पोस्ट करते हुए लिखा कि विपक्षी पार्टी एमडीपी (मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी) भारत के दबाब में है और मालदीव को इससे बचने की जरूरत है।
इसके पहले भी शिउना ने लक्षद्वीप और भारत को लेकर विवादित टिप्पणी की थी। हालांकि उन्होंने हंगामे के बाद अपने ताजे बयान पर माफी मांग ली है लेकिन राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू सरकार में मंत्री रह चुकी शिउना की ऐसी टिप्पणी दोनों देशों के बीच तनाव को स्पष्ट करते हैं।
सवाल यह है कि :
- क्या इस प्रकार की टिप्पणियां वर्तमान राष्ट्रपति मुइज्जू के इशारे पर की जा रही हैं?
- क्या चीन परस्त मालदीव की नई सरकार के कारण इस देश से भारत के संबंध खराब हो रहे हैं?
- आखिर मालदीव, भारत को उकसाने वाली गतिविधियां क्यों कर रहा है?
- क्या भारत की कूटनीति मालदीव पर बढऩे वाले चीनी प्रभाव को रोकने में विफल रही है?
- क्या चीन, मालदीव के जरिए हिंद महासागर में भारत को घेरने की रणनीति पर चल रहा है?
भारत और मालदीव में अरसे तक मधुर संबंध रहे। विवाद तब बढ़ा जब पिछले साल यहां के नए राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने मालदीव की सहायता के लिए तैनात भारत के 88 सैन्यकर्मियों को वापस बुलाने को कहा। इसके बाद मुइज्जू सरकार के तीन मंत्रियों ने पीएम मोदी की लक्षदीप यात्रा और इस द्वीप को टूरिज्म का केंद्र बनाने की अपील पर भद्दी टिप्पणियां कीं।
मोइज्जू सरकार चीन के इशारे पर भारत से विवाद को हवा दे रही
अब अशोक चक्र को लेकर भारत को उकसाने का काम किया गया। यह सब अनायास नहीं हो रहा है। यहां की मोइज्जू सरकार चीन के इशारे पर भारत से विवाद को हवा दे रही है। खुद मोइज्जू ने चीन की यात्रा की और कर्ज व अन्य समझौतों पर हस्ताक्षर किए। चीन दौरे से लौटने के बाद से मालदीव की सरकार लगातार भारत विरोधी बयान दे रही है। दरअसल, चीन, मालदीव के जरिए हिंद महासागर में अपने पांव पसारने की फिराक में है और वह कर्ज देकर इस छोटे से देश को अपने शिकंजे में कसने की रणनीति पर चल रहा है।
हालांकि, कई दैनिक वस्तुओं के लिए मालदीव, भारत पर निर्भर करता है। यहां के मुख्य आय का साधन पर्यटन उद्योग भारतीयों के कारण फलता-फूलता रहा है लेकिन चीन की गोद में बैठने के कारण मालदीव की हालत खराब होती जा रही है। हैरानी की बात यह है कि कुछ दिन पहले ही मालदीव के आग्रह पर भारत ने कुछ निश्चित दैनिक वस्तुओं की आपूर्ति करने की अनुमति दी है और इसके तत्काल बाद वहां से ऐसी टिप्पणी आई है। साफ है, भारत सरकार को चीन के प्रभाव में आए इस छोटे से देश से अपने कूटनीति संबंधों की समीक्षा करनी चाहिए अन्यथा इसके जरिए चीन, मालदीव पर अपना शिकंजा कस देगा और यह भारत के हितों के लिए अच्छा नहीं होगा।