Friday Prayers after CAA: सीएए लागू होने के बाद जुमे की पहली नमाज, पूरे यूपी में अलर्ट पर पुलिस
Friday Prayers after CAA: देश में नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) लागू होने के बाद शुक्रवार (15 मार्च) को जुमे की पहली नमाज अदा की जा रही है। सुरक्षा के मद्देनजर पूरे उत्तर प्रदेश में पुलिस ने हाई अलर्ट जारी किया है। विरोध प्रदर्शन की आशंका के चलते राजधानी लखनऊ में मशहूर शायर रहे मुनव्वर राणा की बेटी सुमैय्या को नजरबंद किया गया है।
इसके अलावा NRC मामले में प्रदर्शन करने वाले लखनऊ में लगभग 12 से अधिक कार्यकर्ता और नेताओं को भी नजरबंद किया गया है। इसके अलावा मेरठ में मस्जिदों (Friday Prayers after CAA) के बाहर बैनर लगे हैं, जिनमें अपील की गई है कि मस्जिद से बाहर नमाज न पढ़ें। बरेली-आगरा में भी लगातार पुलिस पैदल मार्च कर रही है।
यूपी डीजीपी ने कही ये बात | Friday Prayers after CAA
यूपी डीजीपी प्रशांत कुमार ने अपने X अकाउंट पर लिखा- “पुलिस मुख्यालय ने जुमे की नमाज को सकुशल कराने के लिए सतर्कता बढ़ाई है। नमाज़ियों की सुविधा का ध्यान रखा जा रहा है। मस्जिदों के पास अतिरिक्त फोर्स तैनात है। असामाजिक तत्वों और सोशल मीडिया पर खास निगरानी रखी जा रही है।”
उधर, आगरा में नमाज अदा करने के बाद पुलिस के पहरे में नमाजी मस्जिदों से बाहर आने लगे हैं। मुरादाबाद की जामा मस्जिद के बाहर फोर्स तैनात है। पुलिस लगातार पैदल मार्च कर रही है। मस्जिद के अंदर नमाज अदा की जा रही है। मेरठ के इमलियान मस्जिद में शांतिपूर्वक नमाज अदा की जा रही है। कानपुर में बॉडी प्रोटेक्टर, हेलमेट और टीयर गैस गन के साथ पुलिस सड़क पर है। माहौल बिगाड़ने की कोशिश करने वालों से सख्ती से निपटने के आदेश है।
पुलिसकर्मियों की छुट्टियां निरस्त
इसके अलावा छुट्टी पर गए सभी पुलिसकर्मियों को वापस बुला लिया गया है। डीजीपी प्रशांत कुमार ने कहा कि प्रदेश में कानून-व्यवस्था पूरी तरह मुस्तैद है। कहीं से भी कोई अप्रिय घटना की खबर नहीं है। सीएए को लेकर सभी स्टेक होल्डर्स जैसे धार्मिक नेता, पीस कमेटी, डिजिटल वालंटियर्स और सिविल डिफेंस के लोगों से लगातार वार्ता चल रही है।
साल 2019 में हुआ हिंसक प्रदर्शन
लखनऊ में 19 दिसंबर, 2019 को सीएए-एनआरसी को लेकर उग्र और बेहद हिंसक प्रदर्शन हुआ था। इस मामले में पुलिस ने 287 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। तोड़फोड़, आगजनी, मारपीट, लोक संपत्ति नुकसान निवारण अधिनियम व सरकारी कार्य में बाधा समेत अन्य धाराओं में कुल 63 मुकदमे दर्ज किए गए थे।
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