सूचनाओं से मुक्त होकर नदियों की ओर ध्यान दें : अमीर हाशमी
Chhattisgarh News : विश्व नदी दिवस के अवसर पर रायपुर में नदी घाटी मोर्चा द्वारा नदी जीवन पर एक महत्वपूर्ण विचार-विमर्श कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह आयोजन छत्तीसगढ़ की प्रमुख नदियों की स्थिति, पर्यावरणीय संकट, जलवायु परिवर्तन, और नदियों के पुनर्जीवन पर केंद्रित था। कार्यक्रम का संचालन और आयोजन गौतम बंधोपाध्याय द्वारा किया गया, जिसमें प्रसिद्ध फिल्ममेकर अमीर हाशमी व प्रदेश भर से कई विशेषज्ञ, पर्यावरणविद्, और सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हुए।
इस कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ की नदियों के संरक्षण से जुड़े विभिन्न गंभीर मुद्दों पर चर्चा की गई। विशेष रूप से खनिजों का गैर-वैज्ञानिक और अव्यवहारिक उत्खनन, रेत की अंधाधुंध खुदाई, वनों की अंधाधुंध कटाई, और नदी किनारे के क्षेत्रों में अवैध निर्माण एवं कब्जा जैसी समस्याओं को प्रमुखता से उठाया गया। इसके साथ ही, राज्य और केंद्र सरकार से नदी पुनरुद्धार हेतु बजट प्रावधान की मांग की गई, साथ ही जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में जल संरक्षण और नदियों की अविरलता सुनिश्चित करने के लिए ठोस कार्य योजना बनाने का आग्रह किया गया।
इस अवसर पर विशेष वक्ता अमीर हाशमी ने नदी पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन पर विस्तार से अपने विचार साझा किए। उन्होंने लोगों को अपनी जीवनशैली में बदलाव लाने का आह्वान करते हुए कहा कि अत्यधिक सूचनाओं के बोझ से खुद को दूर कर हमें आत्म-चिंतन और विचार करने की आवश्यकता है। अमीर हाशमी ने अपनी ‘बोलती नदी यात्रा’ का उल्लेख करते हुए बताया कि कैसे उन्होंने छत्तीसगढ़ की सकरी नदी को पुनर्जीवित करने का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि जीवन में एक लक्ष्य को निर्धारित कर उसके प्रति गंभीरता से काम करना ही सफलता का मार्ग है।
कार्यक्रम का उद्देश्य न केवल प्रदेश की नदियों के वर्तमान संकटों पर चर्चा करना था, बल्कि नदियों के संरक्षण और पुनरुद्धार हेतु एक विस्तृत योजना बनाना भी था। सभी उपस्थितों ने इस बात पर सहमति जताई कि नदियों को पुनर्जीवित करने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है।
यह आयोजन पर्यावरण प्रेमियों, सरकारी अधिकारियों, और सामाजिक कार्यकर्ताओं के लिए प्रेरणादायक साबित हुआ। कार्यक्रम के अंत में भविष्य में नदियों की अविरलता और स्वच्छता बनाए रखने हेतु ठोस कदम उठाने का संकल्प लिया गया।
अमीर हाशमी बोले-घर बैठे जो मिले सो भ्रम, तलाश हो तो सत्य कहलाए
इस कार्यक्रम में अमीर हाशमी ने नदी पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन पर विस्तार से अपने विचार रखे। उन्होंने सबसे पहले लोगों से अपनी जीवनशैली बदलने की बात कही। उन्होंने बताया कि पहले के समय में, जब हमारे पास सीमित सूचनाएं थीं, लोग छोटे-छोटे संदेशों के लिए भी प्रतीक्षा करते थे, जैसे कि किसी दूर के परिजन से संपर्क करना। पुराने गीतों में परदेसी और दूरियों की बात होती थी, लेकिन आजकल की दुनिया में अत्यधिक सूचनाओं का अंबार है। आज की दुनिया में कम्युनिकेशन इतनी तेजी से हो चुका है कि हमें हर पल किसी न किसी सूचना का सामना करना पड़ता है।
अमीर हाशमी ने कहा कि पहले हमें किसी घटना पर गंभीरता से विचार करना पड़ता था और उससे जुड़े भावनात्मक अनुभव होते थे, लेकिन आजकल की दुनिया में हत्या, बलात्कार जैसी घटनाओं की सूचनाएं इतनी अधिक हो गई हैं कि मनुष्य की संवेदनशीलता और चेतना क्षीण होती जा रही है। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि वे अत्यधिक सूचनाओं से खुद को दूर रखें, अपने चेतन मन को जागृत करें और विवेकपूर्ण तरीके से चिंतन करें।
उन्होंने बताया कि जैसे हमारे देश के ऋषि-मुनि, कबीर साहब, गुरु नानक जी, महावीर जी और बुद्ध जी ने सत्य की खोज के लिए घर से बाहर निकले थे, वैसे ही हमें भी सत्य की तलाश में निकलना चाहिए। उन्होंने यह कहा कि जो सूचनाएं हमें घर बैठे व्हाट्सएप, न्यूज़चैनल, न्यूज़पेपर, टीवी बहस इत्यादि से मिलती है, वह अक्सर भ्रम होती है, सत्य की तलाश में हमें अपने ऋषियों का अनुसरण करते हुए वास्तविक सत्य की खोज हमें खुद करनी होती है।
अमीर हाशमी ने अपनी ‘बोलती नदी यात्रा’ का जिक्र करते हुए बताया कि उन्होंने किस तरह छत्तीसगढ़ की सकरी नदी को पुनर्जीवित किया। यह इसलिए संभव हो पाया क्योंकि उन्होंने एकमात्र लक्ष्य निर्धारित कर पूरी दृढ़ता के साथ उस पर काम किया। उन्होंने कहा कि हमें अपने जीवन में किसी एक विषय पर पूरी गंभीरता से ध्यान केंद्रित करना चाहिए, तभी हमें सफलता मिलेगी।
उन्होंने समाज के विभिन्न मुद्दों पर बिखराव से बचने की सलाह दी और कहा कि महिला सुधार, समाज सुधार, बालकों की शिक्षा, शराबबंदी, और नशामुक्ति जैसे अनेक विषयों पर एक साथ ध्यान केंद्रित करने से बेहतर है कि हम किसी एक लक्ष्य को लेकर दृढ़ निश्चय करें और उसे पूर्ण करने का प्रयास करें।
कार्यक्रम के अंत में उन्होंने कबीर की एक प्रसिद्ध पंक्ति “एक साधे सब सधे, सब साधे सब जाए” को दोहराया, जिसका अर्थ है कि यदि हम एक लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करेंगे तो सब कुछ ठीक होगा, लेकिन यदि हम सभी दिशाओं में बिखर जाएंगे, तो कुछ भी हासिल नहीं हो सकेगा।
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