Lucknow: सेंट्रल GST के बड़े अफसरों का एक और फर्जीवाड़ा, रिफंड वापसी में करोड़ों का खेल
वित्त मंत्री से शिकायत, केपी सिंह, संजय राठी, स्वपन श्रीवास्तव व जीजू फ्रांसिस जैसे बड़े अफसरों के खिलाफ जांच की मांग
Sandesh Wahak Digital Desk/Manish Srivastava: लखनऊ सेंट्रल जीएसटी में बैठे आईआरएस अफसरों के दामन पर एक से बढ़कर एक घोटालों के संगीन आरोप हैं। इसके बावजूद आईआरएस लॉबी के दबाव में कार्रवाई ढेला भर भी नहीं होती। जबकि पीएम मोदी की भ्रष्टाचार को लेकर ज़ीरो टॉलरेंस की नीति है।
यूपी में सीजीएसटी के रसूखदार अफसरों पर इस बार पान मसाला कारोबारी को केंद्रीय उत्पाद शुल्क के करोड़ों के रिफंड का अवैध लाभ पहुंचाने का संगीन आरोप लगा है। जिसकी शिकायत राष्ट्र रक्षक समूह नामक संगठन द्वारा केंद्रीय वित्त मंत्री, डीजी विजिलेंस व प्रधान मुख्य आयुक्त से करने के बावजूद जांच अभी तक शुरू नहीं की गयी है। इस बार कटघरे के दायरे में प्रधान आयुक्त के.पी. सिंह, सहायक आयुक्त स्वपन श्रीवास्तव और सहायक आयुक्त जीजू फ्रांसिस हैं। हालांकि मिलीभगत में तत्कालीन प्रधान आयुक्त संजय राठी का नाम भी सामने आ रहा है।
लखनऊ की प्रोपराइटर पान मसाला फर्म दुर्गा ट्रेडिंग पर दिखाई दरियादिली
दरअसल लखनऊ की प्रोपराइटर फर्म दुर्गा ट्रेडिंग की मालिक आशा चौरसिया की मृत्यु 2019 में हो गयी थी। इसके बावजूद इस फर्म के मामले की सुनवाई अफसरों ने जारी रखी। फर्म की दिवंगत प्रोपराइटर के पति उदय चंद चौरसिया ने 23 अगस्त 2022 को दुर्गा ट्रेडिंग के रिफंड वापसी का आवेदन सीजीएसटी अफसरों को दिया था। तत्कालीन प्रधान आयुक्त संजय राठी द्वारा पारित आदेश 07/पीसी/2022-23 दिनांक 01.06.2022 में शुल्क की मांग को रद्द करने के बाद तीन करोड़ 52 लाख का रिफंड ब्याज सहित फर्म की दिवंगत प्रोपराइटर के पति उदय चौरासिया के द्वारा विभाग से मांगा गया था।
उच्चतम न्यायालय और केंद्रीय उत्पाद शुल्क के प्रावधान भी ताख पर
ख़ास बात ये है कि तत्कालीन प्रधान आयुक्त लखनऊ जोन संजय राठी किसी एकल स्वामित्व वाली फर्म के मालिक की मृत्यु के बाद उसके कर का मूल्यांकन कर न्याय निर्णयन का आदेश केंद्रीय उत्पाद शुल्क के प्रावधानों के अनुसार पारित ही नहीं कर सकते थे। आरोपों के मुताबिक राठी ने उच्चतम न्यायालय और केंद्रीय उत्पाद शुल्क के प्रावधानों को दरकिनार कर आदेश जारी कर पार्टी द्वारा स्वेच्छा से भरे शुल्क की मांग को गिरा कर रिफ़ंड के लिये आवेदन करा दिया।
फर्जीवाड़े में सीजीएसटी कमिश्नरेट के कई बड़े अफसर शामिल
इसके बाद का खेल लखनऊ सीजीएसटी कमिश्नरेट के प्रधान आयुक्त के.पी. सिंह, सहायक आयुक्त स्वप्न श्रीवास्तव और जीजू फ्रांसिस ने मिलकर अंजाम देते हुए अवैध तरीके से 3.52 करोड़ का रिफंड दुर्गा ट्रेडिंग कंपनी को स्वीकृत कर दिया। इस रिफंड में वसीयत को विधिक रूप से मान्य भी नहीं कराया गया था। इसके साथ ही रिफंड के मामले में कई गंभीर तकनीकी खामियां भी थीं। माना जा रहा है कि केंद्रीय उत्पाद शुल्क के तमाम पुराने मामलों में फर्मों पर इसी तरह करोड़ों की दरियादिली दिखाकर लखनऊ जोन में बैठे सीजीएसटी के बड़े अफसरों ने भ्रष्टाचार की पूरी कलंक कथा लिख रखी है। जिसकी गहराई से जांच में कई खुलासे हो सकते हैं।
सीबीआईसी के स्टैंडिंग काउंसिल की क़ानूनी राय भी दरकिनार, ख़ास अफसर को चार्ज दिलाकर किया खेल
सीजीएसटी अफसरों ने पान मसाला ट्रेडिंग फर्म के ऊपर करोड़ों की मेहरबानी के मामले में उस क़ानूनी राय को भी ताख पर रख दिया। जिसे खुद सीजीएसटी और सेंट्रल एक्साइज के अफसरों ने मांगा था। 17 नवंबर 2021 को सीबीआईसी के सीनियर स्टैंडिंग काउन्सिल दीपक सेठ ने डेप्युटी कमिशनर(सीजीएसटी और सेंट्रल एक्साइज डिवीजन) को भेजे पत्र में उक्त फर्म दुर्गा ट्रेडिंग के संबंध में करोड़ों के रिफंड वापसी को नियमों के विपरीत करार दिया था। सिर्फ यही नहीं आरोपों के मुताबिक प्रधान आयुक्त केपी सिंह ने सहायक आयुक्त ऑडिट ओपी शुक्ला को हटाकर अपने ख़ास सहायक आयुक्त जीजू फ्रांसिस को रिफंड के प्री ऑडिट का चार्ज देकर इस खेल को अमलीजामा पहनाया।
क्या कहते हैं सीजीएसटी लखनऊ जोन के प्रधान मुख्य आयुक्त?
सीजीएसटी लखनऊ जोन के प्रधान मुख्य आयुक्त प्रमोद कुमार ने कहा कि अभी मेरे पास शिकायत नहीं आयी है। आने पर तथ्यों को देखने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है। ग्रुप ए के अफसरों की जांच का अधिकार डीजी विजिलेंस का है।
Also Read: यूपी प्रोजेक्ट्स कार्पोरेशन के एमडी पर लोकायुक्त का शिकंजा