फर्जीवाड़ा: कार्यालय अधीक्षक बन प्लॉट के नाम पर ठगे 40.61 लाख, थमाया जाली आवंटन पत्र
आरोपित ने वृंदावन योजना में प्लॉट व मकान दिलाने का दिया था झांसा, थमाया जाली आवंटन पत्र, फर्जीवाड़ा सामने आने पर पीडि़त ने पीजीआई थाने में दर्ज कराया मुकदमा।
Sandesh Wahak Digital Desk: आवास विकास परिषद का कार्यालय अधीक्षक बन जालसाज ने वृंदावन योजना (Lucknow) में प्लॉट और मकान दिलाने का झांसा देकर 40.61 लाख रुपए ऐंठ लिए। आरोपित ने जाली आवंटन पत्र (fake allotment letter) भी थमाया। रजिस्ट्री में टालमटोल देख पीडि़त ने पड़ताल की तो फर्जीवाड़ा सामने आया। पीड़ित ने पीजीआई थाने में मुकदमा दर्ज कराया है। इंस्पेक्टर राणा राजेश कुमार सिंह (Inspector Rana Rajesh Kumar Singh) ने बताया कि मामले की जांच की जा रही है।
दरअसल, शारदानगर रश्मि खंड-1 में अंजनी कुमार शुक्ला परिवार के साथ रहते हैं। उन्होंने बताया कि सितंबर 2022 में पंजाब नेशनल बैंक आशियाना में होम लोन (Home Loan) के लिए आवेदन कर बैंक प्रबंधक अजय चौधरी को दस्तावेज दिए थे। पेपर देखने के बाद अजय ने कहा कि मकान बहुत महंगा है। अगर आप चाहो तो आवास विकास वृंदावन योजना (Housing Development Vrindavan Scheme) में बैक डेट से मकान आवंटित करा देंगे। बताया कि उसके परिचित आवास विकास परिषद में कार्यरत (कार्यालय अधीक्षक) हैं, वह उनसे बोलकर काम करा देगा। जाल में फंसाने के लिए अपने नाम का आवंटन पत्र भी दिखाया।
बैंक प्रबंधक ने पीड़ित की आरोपी से करवाई मुलाक़ात
अंजनी के हामी भरने पर अजय ने उनकी मुलाकात शानू अली निवासी रुचि खंड से कराई। बताया कि शानू आवास विकास परिषद के अधिकारियों का परिचित है। जाल में फंसाने के बाद शानू ने अंजनी को वृंदावन योजना (vrindavan Yojna) में कुछ मकान और प्लॉट दिखाए। फिर शानू उन्हें लेकर वृंदावन योजना सेक्टर 5 स्थित राजेंद्र प्रसाद के पास ले गया।
आरोपियों ने धीरे-धीरे ऐंठे 40.61 लाख
बातचीत में राजेंद्र ने खुद को आवास विकास परिषद का कार्यालय अधीक्षक बताया। बताया कि सेक्टर -एच स्थित मकान व प्लॉट का आवंटन रद्द हो चुका है। पीड़ित ने पत्र मांगा तो कहा कि वह गोपनीय होता है और फाइल बाहर नही लाई जा सकती है। आवंटन का झांसा देकर राजेंद्र ने 17 सितंबर को बयाने के रूप में कैश और खाते में 10 लाख रुपए लिए। इसके बाद आरोपितों ने कई बार में कुल 40.61 लाख रुपए लिए। आरोपितों ने जल्द ही मकान व प्लॉट का बैनामा (house and plot deed) कराने का आश्वाासन दिया। जुलाई में आरोपितों ने आवंटन पत्र थमाया।
रजिस्ट्री के लिए करते रहे टालमटोल
पीड़ित ने रजिस्ट्री की बात कही तो आरोपितों ने टालमटोल की। शक होने पर पीड़ित ने पड़ताल की तो पता चला कि आवंटन पत्र जाली है। 40.61 लाख की ठगी का एहसास होने पर पीडि़त अंजनी ने मामले की शिकायत पीजीआई थाने (PGI Police Station) में की। पुलिस ने तहरीर के आधार पर राजेंद्र प्रसाद, शानू और अजय चौधरी के खिलाफ धोखाधड़ी की रिपोर्ट (fraud report) दर्ज कराई है।
Also Read: पर्दाफाश : अब आयुष विभाग में ‘तीसरी आंख’ की खरीद में करोड़ों का घोटाला