पंद्रह हजार करोड़ का GST फर्जीवाड़ा आया सामने, पुलिस ने किया भंडाफोड़, 8 गिरफ्तार
ढाई हजार से अधिक फर्जी कंपनी बनाकर 15 हजार करोड़ से अधिक का जीएसटी (GST) फ्रॉड करने वाले अंतरराज्यीय गिरोह का भंडाफोड़ नोएडा पुलिस ने किया है।
Sandesh Wahak Digital Desk: ढाई हजार से अधिक फर्जी कंपनी बनाकर 15 हजार करोड़ से अधिक का जीएसटी (GST) फ्रॉड करने वाले अंतरराज्यीय गिरोह का भंडाफोड़ नोएडा पुलिस ने किया है। आरोपियों ने पांच साल में फर्जी फर्म बनाकर जीएसटी रिफंड आईटीसी (इनपुट टैक्स के्रडिट) प्राप्त कर सरकार को हजारों करोड़ का चूना लगाया। पुलिस ने गैंग में शामिल महिला समेत आठ जालसाजों को गिरफ्तार किया है। वहीं, तीन सीए समेत सात आरोपी फरार हैं।
जालसाजों के पास करीब साढ़े छह लाख से अधिक लोगों का पैन कार्ड, आधार कार्ड, बिजली बिल आदि का डेटा था। आरोपियों के पास से 12.60 लाख रुपये, 2660 फर्जी जीएसटी फर्म के कागजात, 32 मोबाइल और तीन कारें बरामद की गई है।
फर्जी GST बिल से सरकार से लेते थे रिफंड
पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह (Police Commissioner Laxmi Singh) ने बताया कि फर्जी पैन कार्ड का इस्तेमाल कर फर्जी कंपनी बनाने की शिकायत कोतवाली सेकटर-20 में दर्ज की गई थी। दिल्ली से गिरफ्तार आरोपियों की पहचान गिरोह के सरगना दीपक मुरजानी, पत्नी विनीता, आकाश सैनी, विशाल, मोहम्मद यासीन शेख, राजीव (सीए), अतुल सेंगर और अश्वनी के रूप में हुई है। वहीं तीन सीए समेत सात आरोपी फरार हैं। इन जालसाजों ने दिल्ली में अलग-अलग स्थानों पर ऑफिस खोल रखा था। जालसाज फर्जी फर्म बनाकर जीएसटी नंबर (GST Number) ले लेते थे और फर्जी बिल का इस्तेमाल कर जीएसटी रिफंड (GST Refund) सरकार से प्राप्त करते थे।
2660 फर्जी कंपनियों का खुलासा
पुलिस की जांच में अब तक 2660 फर्जी कंपनियों के बारे में पता चला है। इन कंपनियों में चार से पांच करोड़ का फर्जी बिल बनाकर जीएसटी रिफंड लिया जा रहा था। इस गिरोह में पचास से अधिक लोगों के शामिल होने की बात सामने आई है। जिसमें 12 से अधिक सीए शामिल हैं। पुलिस व जीएसटी अधिकारियों की प्राथमिक जांच में पांच साल में 15 हजार करोड़ से अधिक का फ्रॉड करने का पता चला है। उक्त मामले में सेंट्रल जीएसटी, आयकर विभाग से लेकर अन्य एजेंसियों को जानकारी दी गई है।
फर्जी कंपनी से व्हाइट हो रही थी ब्लैक मनी
जांच में यह बात भी सामने आई है कि जालसाज फर्जी कंपनियों को जीएसटी नंबर के साथ ऑन डिमांड बेच देते थे। इन कंपनियों के नाम पर पैसे जमा कर काले धन को सफेद किया जा रहा था। पुलिस इन जालसाजों से एक से डेढ़ लाख रुपये फर्जी कंपनी खरीदने वालों की जांच में जुटी है।
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