भारत में हरित क्रांति के जनक एमएस स्वामीनाथन का निधन, 98 वर्ष की उम्र में ली अंतिम सांस
Sandesh Wahak Digital Desk: भारत में हरित क्रांति (ग्रीन रेवोल्यूशन) के जनक एमएस स्वामीनाथन का गुरुवार (28 सितंबर) को निधन हो गया है. वो 98 वर्ष के थे. उन्होंने चेन्नई में अंतिम सांस ली. स्वामीनाथन को भारत के एक लोकप्रिय वैज्ञानिक के तौर पर जाना जाता था. स्वामीनाथन को भारत में हरित क्रांति का अगुआ माना जाता है. वे पहले ऐसे व्यक्ति हैं, जिन्होंने सबसे पहले गेहूं की एक बेहतरीन किस्म को पहचाना और स्वीकार किया. इसके कारण भारत में गेहूं उत्पादन में भारी वृद्धि हुई.
स्वामीनाथन को कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है. इनमें पद्मश्री (1967), पद्मभूषण (1972), पद्मविभूषण (1989), मैग्सेसे पुरस्कार (1971) और विश्व खाद्य पुरस्कार (1987) महत्वपूर्ण हैं. उन्होंने किसानों के हालात सुधारने और कृषि को बढ़ावा देने के लिए सिफारिशें की थीं. लेकिन, अब तक उनकी ये सिफारिशें पूर्ण रूप से लागू नहीं हो पाई हैं.
हालांकि, सरकारों का कहना है कि उन्होंने आयोग की सिफारिशों को लागू कर दिया है. लेकिन, सच्चाई तो यही है कि अभी तक इसे पूरी तरह से लागू नहीं किया जा सका है. किसान बार-बार आंदोलनों के जरिए स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने की मांग करते रहे हैं.
बता दें कि स्वामीनाथन आयोग का गठन 18 नवंबर, 2004 को किया गया था. दरअसल, इस आयोग का नाम राष्ट्रीय किसान आयोग है और इसके अध्यक्ष एमएस स्वामीनाथन हैं. उन्हीं के नाम पर इस आयोग का नाम स्वामीनाथन आयोग पड़ा. इस आयोग ने लंबे समय तक किसानों की समस्या को समझने के बाद केंद्र से कृषि क्षेत्र में कई जरूरी सुधारों की मांग की थी.
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