Farmers Protest: 4 महीने से जारी किसान नेता डल्लेवाल का अनशन खत्म, पानी पीकर तोड़ा उपवास

Sandesh Wahak Digital Desk: किसान आंदोलन में चर्चा का केंद्र रहने वाले जगजीत सिंह डल्लेवाल ने आज अपना अनशन खत्म कर दिया है. दरअसल, पिछले 4 महीने 11 दिन से डल्लेवाल भूख हड़ताल पर थे.
इस बारे में आज पंजाब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जानकारी दी है. कोर्ट में बताया गया कि किसान नेता डल्लेवाल ने आज अपना अनशन तोड़ दिया है. डल्लेवाल पिछले साल नवंबर से MSP समेत विभिन्न उपायों की मांग को लेकर अनशन पर थे.
डल्लेवाल की हालत पिछले करीब 2 महीनों से नाजुक चल रही थी. यही कारण है कि किसान नेता उनसे अनशन खत्म करने की बात कह रहे थे. आखिरकार नेताओं की मेहनत रंग लाई और जगजीत सिंह डल्लेवाल ने पानी पीकर अपना अनशन खत्म कर दिया है.
आपको बता दें कि पंजाब पुलिस ने पिछले दिनों शंभू बॉर्डर और खनौरी पर डटे हुए किसानों को हटा दिया था. इस दौरान पुलिस ने सड़क पर लगे टेंट और अन्य सामानों को हटाने के लिए जेसीबी का उपयोग किया था. इसके साथ ही पंजाब पुलिस ने बताया था कि इस कार्रवाई के दौरान करीब 1400 किसानों को हिरासत में लिया गया था.
एक साल से डटे हुए थे किसान
संयुक्त किसान मोर्चा और किसान मजदूर मोर्चा के नेतृत्व में पिछले साल 13 फरवरी से ही शंभू और खनौरी बॉर्डर पर किसान अपने कैंप लगाकर बैठे हुए थे. जिन्हें पिछले दिनों पंजाब सरकार ने हटा दिया है.
लंबे वक्त तक जब केंद्र की ओर से कोई पहल नहीं हुई, तो संयुक्त किसान मोर्च के नेता डल्लेवाल 26 नवंबर को आमरण अनशन पर बैठ गए थे. इस दौरान पंजाब सरकार केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट ने उनकी सेहत को लेकर चिंता जाहिर की थी.
किसानों की क्या थीं मांगें
-MSP पर खरीद की गारंटी का कानून.
-स्वामीनाथन आयोग के हिसाब से कीमत.
-भूमि अधिग्रहण कानून 2013 लागू हो.
-आंदोलन में लगे मुकदमे वापस लिए जाएं.
-किसानों का कर्जा माफ हो, पेंशन दी जाए.
-फसल बीमा योजना का प्रीमियम सरकार दे.
-मारे गए किसानों के परिजनों को नौकरी.
-लखीमपुर कांड के दोषियों को सजा मिले.
-मनरेगा में 200 दिन काम, 700 रु. मजदूरी.
-नकली बीज-खाद पर सख्त कानून.
-मसालों की खरीद पर आयोग का गठन.
-भूमिहीन किसानों के बच्चों को रोजगार.
-मुक्त व्यापार समझौते पर रोक लगाई जाए.
किसानों मसले पर उपराष्ट्रपति ने जताई थी नाराजगी
किसानों के प्रति सरकार के रवैये पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भी अपनी नाराजगी जाहिर की थी. उन्होंने एक कार्यक्रम में कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से पूछ लिया था कि किसानों से जो वादा किया उसको कितना निभाया गया है, इसके बारे में भी जानकारी देनी चाहिए.
उन्होंने कहा कि ये बहुत गहराई का मुद्दा है. इसको हल्के में लेने का मतलब है कि हम प्रैक्टिकल नहीं हैं. हमारी पॉलिसी मेकिंग सही ट्रैक पर नहीं है. कौन हैं वो लोग जो किसानों को कहते हैं कि उसके उत्पाद का उचित मूल्य दे देंगे? मुझे समझ नहीं आता कि कोई पहाड़ गिरेगा. किसान अकेला है, जो असहाय है.
आपको बता दें कि उपराष्ट्रपति की इस टिप्पणी के बाद खूब राजनीतिक सरगर्मी देखने को मिली थी.
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