संभल में 10 दिसंबर तक बाहरी लोगों के प्रवेश पर रोक, अखिलेश बोले- प्रतिबंध लगाना सरकार की नाकामी
Sandesh Wahak Digital Desk: संभल में भड़की हिंसा के बाद जिलाधिकारी ने 10 दिसंबर तक जिले में बाहरी लोगों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है। अब इसको लेकर सियासत शुरू गई है। तो वहीं सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी के प्रतिनिधिमंडल को संभल न जाने देने पर योगी सरकार पर निशाना साधा है।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि प्रतिबंध लगाना सरकार और सरकारी प्रबंधन की नाकामी है। ऐसा प्रतिबंध अगर सरकार उन पर पहले ही लगा देती है। जिन्होंने दंगा-फसाद करवाने का सपना देखा और उन्मादी नारे लगवाए तो संभल में सौहार्द-शांति का वातावरण नहीं बिगड़ता।
सोशल मीडिया साइट एक्स पर अखिलेश यादव ने लिखा कि बीजेपी जैसे पूरी की पूरी कैबिनेट एक साथ बदल देती है। वैसे ही संभल में ऊपर से लेकर नीचे तक का पूरा प्रशासनिक मंडल निलंबित करके उन पर साजिशन लापरवाही का आरोप लगाते हुए सच्ची कार्रवाइ करके बर्खास्त भी करना चाहिए और किसी की जान लेने का मुकदमा भी चलना चाहिए। बीजेपी हार चुकी है।
आज संभल दौरे पर जाने वाला था सपा का प्रतिनिधिमंडल
दरअसल आज शनिवार (30 नवंबर) को सपा का प्रतिनिधिमंडल संभल दौरे पर जा रहा था। जहां सपा का प्रतिनिधिमंडल हिंसा के पीड़ित लोगों से मुलाकात करता और उसकी रिपोर्ट अखिलेश यादव को सौंपी जाती। तो वहीं संभल जिलाधिकारी ने 10 दिसंबर तक जिले में बाहरी लोगों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसके बाद पुलिस ने माता प्रसाद को संभल जाने से रोक दिया। माता प्रसाद की गाड़ी के आगे पीछे पुलिस ने गाड़ी लगाकर रास्ता को ब्लाक कर दिया।
इसके बावजूद समाजवादी पार्टी के नेता संभल जाने की जिद पर अड़े थे। मगर पुलिस ने नहीं जाने दिया। इसके बाद माता प्रसाद पांडे ने अखिलेश यादव से फोन पर बात की। माता प्रसाद ने कहा कि वह पार्टी दफ्तर जाना चाहते हैं लेकिन पुलिस नहीं जाने दे रही। उन्होंने कहा कि अगर मीडिया संभल जा सकती है कि तो मैं क्यों नहीं? सपा का 15 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल आज संभल जाने वाला था।
24 नवंबर को संभल मे भड़की थी हिंसा
बता दें कि जिला प्रशासन ने संभल में निषेधाज्ञा लागू कर रखी है और 30 नवंबर तक वहां बाहरी लोगों के प्रवेश पर रोक है। दरअसल, संभल में अदालत के आदेश पर 19 नवंबर को जामा मस्जिद के पहली बार किए गए सर्वेक्षण के बाद से ही तनाव की स्थिति बनी हुई है।
अदालत ने यह आदेश जिस याचिका पर दिया उसमें दावा किया गया है कि जिस जगह पर जामा मस्जिद है वहां पहले कभी हरिहर मंदिर था। 24 नवंबर को मस्जिद का दोबारा सर्वेक्षण किए जाने के दौरान हिंसा भड़क उठी थी। इस दौरान प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प में चार लोगों की मौत हो गई थी तथा 25 अन्य घायल हुए थे।
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