Electoral Bonds: मोदी सरकार पर प्रशांत भूषण का प्रहार, कहा- चार कैटेगरी में भ्रष्टाचार कर रही BJP
Electoral Bonds: लोकसभा चुनाव से पहले इलेक्टोरल बॉन्ड मामले को लेकर आए दिन नए-नए बयान और खुलासे सामने आ रहे हैं. इलेक्टोरल बॉन्ड पर रोक लगाने और इससे जुड़ी जानकारी को सार्वजनिक कराने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहे याचिकाकर्ताओं के वकील ने अपनी बात रखी है.
दरअसल, याचिकाकर्ताओं के वकील प्रशांत भूषण ने बीते शुक्रवार 22 मार्च को बताया कि सीबीआई, प्रवर्तन निदेशालय (ED) और आयकर विभाग (IT) की जांच का सामना कर रही 41 कंपनियों ने इलेक्टोरल बॉन्ड के माध्यम से भारतीय जनता पार्टी (BJP) को 2,471 करोड़ रुपये दिए हैं. और इनमें से 1,698 करोड़ रुपये इन एजेंसियों के छापों के बाद दिए गए.
बता दें कि एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान याचिकाकर्ताओं के वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि कम से कम 30 फर्जी कंपनियों ने 143 करोड़ रुपये से अधिक के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदकर बीजेपी को चंदा दिया. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार से 172 प्रमुख कॉन्ट्रैक्ट और प्रोजेक्ट हासिल करने वाले 33 कंपनियों ने भी चुनावी बॉन्ड के माध्यम से दान दिया है.
प्रशांत भूषण ने बताया कि बीजेपी को इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिये 1751 करोड़ रुपये का चंदा देने वाली इन 33 कंपनियों को सरकार की ओर से मिले प्रोजेक्ट और कॉन्ट्रैक्ट से कुल 3.7 लाख करोड़ रुपये मिले हैं.
‘चार कैटेगरी में भ्रष्टाचार कर रही बीजेपी’
प्रशांत भूषण ने दावा किया कि कल्पतरु समूह ने पिछले साल तीन अगस्त को आईटी विभाग की छापेमारी के तीन महीने के अंदर भाजपा को 5.5 करोड़ रुपये दिए थे. उन्होंने इलेक्टोरल बॉन्ड योजना को स्वतंत्र भारत का सबसे बड़ा घोटाला बताते हुए आरोप लगाया कि इसके जरिये चार श्रेणियों में भ्रष्टाचार किया गया. उन्होंने कहा कि पहला है- चंदा दो, धंधा लो. दूसरा है- हफ्ता-वसूली (जबरन वसूली), तीसरा- ठेका लो, रिश्वत दो और चौथा है- फर्जी कंपनी.
बता दें कि इस मामले में याचिका डालने वाली और आरटीआई कार्यकर्ता अंजलि भारद्वाज ने स्वतंत्र जांच की मांग की है. उन्होंने कहा कि जांचकर्ता की जांच कौन करेगा? इलेक्टोरल बॉन्ड के माध्यम से किए गए भ्रष्टाचार की जांच के लिए एक स्वतंत्र एसआईटी का गठन किया जाना चाहिए.
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