विकसित भारत के निर्माण में शिक्षित युवा शक्ति की अहम भूमिका: आज़ाद अकादमी की संगोष्ठी
Sandesh Wahak Digital Desk: मौलाना आज़ाद मेमोरियल अकादमी, लखनऊ द्वारा आयोजित संगोष्ठी में “युवा भारत, शिक्षित भारत और सशक्त भारत” विषय पर गहन चर्चा हुई। यह कार्यक्रम न्यू जनपथ, हजरतगंज स्थित तारिक सिद्दीकी के कॉन्फ्रेंस रूम में आयोजित किया गया। जिसमें लखनऊ के बुद्धिजीवियों और शिक्षाविदों ने भाग लिया।
कार्यक्रम की शुरुआत अकादमी के महासचिव डॉ. कुद्दूस हाशमी ने संगोष्ठी के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए की। उन्होंने कहा, “आज भारत विश्व का सबसे युवा प्रधान देश है, जहां 65% जनसंख्या युवाओं की है। यह युवा शक्ति देश को सशक्त और समृद्ध बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।”
डॉ. हाशमी ने मौलाना आज़ाद के विचारों और शिक्षा मंत्री के रूप में उनके कार्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि आज़ाद का सपना एक सुसंस्कृत और उन्नतशील राष्ट्र बनाना था। उन्होंने शिक्षा के माध्यम से जागरूकता, एकता, धार्मिक सद्भाव, लोकतंत्र और वैश्विक भाईचारे को मजबूत करने पर जोर दिया।
शिक्षा से विकसित राष्ट्र का निर्माण
संगोष्ठी में वक्ताओं ने मौलाना आज़ाद के योगदान की चर्चा की, जिन्होंने भारत की प्राथमिक और उच्च शिक्षा प्रणाली को सुदृढ़ किया। वैज्ञानिक, तकनीकी, साहित्यिक और सांस्कृतिक संस्थानों की स्थापना उनके ऐतिहासिक कार्यों में शामिल है। वक्ताओं ने यह भी कहा कि आज़ाद के विचारों पर अमल करते हुए शिक्षण संस्थानों को युवाओं के भीतर जिम्मेदारी और सशक्तिकरण का भाव पैदा करना होगा।
विकसित भारत के लक्ष्य पर चर्चा
संगोष्ठी में यह भी कहा गया कि 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए युवाओं और शिक्षण संस्थानों को एकजुट होकर काम करना होगा। इसमें शिक्षित युवा शक्ति की राय और सुझाव बेहद अहम होंगे।
मुख्य वक्ताओं की भूमिका
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में प्रोफेसर अजीजुद्दीन हुसैन (मानू, हैदराबाद) और प्रोफेसर जमशेद कमर (रांची विश्वविद्यालय) उपस्थित थे। इसके अतिरिक्त, डॉ. सिकंदर हयात, मोहम्मद गुफरान, अरशद आज़मी, सहला हक, दुर्फिशान चांदनी, मुजतबा खान, और अन्य विद्वानों ने भी विचार साझा किए। अकादमी ने भविष्य में छात्रों और युवाओं के लिए चर्चा सत्र और वर्कशॉप आयोजित करने की योजना बनाई है, ताकि उनमें जिम्मेदारी का एहसास पैदा हो और वे विकसित भारत के निर्माण में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर सकें।