संपादकीय: जानलेवा सड़क हादसों से सबक कब?
उत्तर प्रदेश में तमाम कवायदों और सरकार के दावों के बावजूद सड़क हादसों और इसमें जान गंवाने वाले लोगों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है।
Sandesh Wahak Digital Desk: उत्तर प्रदेश में तमाम कवायदों और सरकार के दावों के बावजूद सड़क हादसों और इसमें जान गंवाने वाले लोगों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) भी चिंता जाहिर कर चुका है। बावजूद इसके हालात सुधर नहीं रहे हैं। सवाल यह है कि…
- सड़क हादसों पर लगाम क्यों नहीं लग पा रही है?
- खामियां को चिन्हित कर दूर करने के उपाय क्यों नहीं किए जा रहे हैं?
- क्या ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन, जर्जर सडक़ें, नशे में वाहन का संचालन व रफ्तार इसके मुख्य कारण है?
- सडक़ सुरक्षा अभियान बेअसर क्यों है?
- आम आदमी को ट्रैफिक नियमों का पालन कराने में कोताही क्यों बरती जा रही है?
- क्या सुरक्षा उपकरणों के प्रयोग में लापरवाही हादसों में मौत की वजह बन रही है?
- सुप्रीम कोर्ट व सरकार के निर्देशों को जमीन पर क्यों नहीं उतारा गया?
- आखिर यातायात विभाग क्या कर रहा है?
सड़क हादसे में 22 हजार ने लोगों ने गवायीं जान
प्रदेश में सडक़ हादसे गंभीर चिंता का विषय है। रोड सेफ्टी सेल की रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में वर्ष 2022 में 41 हजार से अधिक सडक़ हादसे हुए हैं। इनमें 22 हजार 595 लोगों की मौत हुई है। जान गंवाने वालों में पैदल यात्री से लेकर दो और चार पहिया वाहन सवार शामिल हैं। इसमें दो राय नहीं कि हादसों की मुख्य वजह गड्ढायुक्त और मानक विहीन सडक़ें, निर्धारित गति सीमा से अधिक रफ्तार पर वाहन का संचालन और यातायात के जरूरी नियमों का पालन नहीं करना है। दावों के बावजूद प्रदेश की सडक़ें आज भी गड्ढा मुक्त नहीं हुई हैं। मसलन लखनऊ की तमाम सडक़ें जर्जर हैं वहीं मानकों को दरकिनार कर बनाए गए स्पीड ब्रेकर हादसों को न्योता देते हैं।
सुप्रीम कोर्ट भी कर चुका है हस्तक्षेप
सडक़ सुरक्षा जागरूकता अभियान के बावजूद लोग यातायात नियमों की धज्जियां उड़ाते हैं। वे रेड सिग्नल जंप कर जाते हैं। हेलमेट और सीट बेल्ट का प्रयोग करने में आनाकानी करते हैं। मोबाइल पर बात करते हुए और नशे में वाहन का चालन हादसों की बड़ी वजह है। हाईवे पर वाहन चालक निर्धारित गति सीमा व यातायात विभाग द्वारा लिखी गई चेतावनियों को नजरअंदाज करते हैं। हैरानी की बात यह है कि सुप्रीम कोर्ट ने गड्ढों के कारण हुए हादसों में होने वाली मौतों पर न केवल चिंता जताई है बल्कि राज्य सरकारों को व्यवस्था दुरुस्त करने के निर्देश भी दिए हैं लेकिन इसका पालन आज तक सुनिश्चित नहीं किया जा सका है।
वहीं, यातायात पुलिस नियमों का पालन कराने में तत्पर नहीं दिखती है। जहां सिग्नल सिस्टम नहीं है वहां के चौराहों पर टै्रफिक सिपाही कभी-कभार ही दिखते हैं। इसके कारण सडक़ों पर जाम और दुर्घटनाओं की आशंका बढ़ जाती है।
आने वाले दिनों में स्थितियां होंगी भयावह
जाहिर है यदि सरकार सड़क हादसों को कम करना चाहती है तो उसे न केवल सडक़ों को मानक के मुताबिक दुरुस्त करना होगा बल्कि यातायात नियमों का सख्ती से पालन सुनिश्चित करना होगा। इसके अलावा सडक़ सुरक्षा के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए सतत अभियान भी चलाना होगा अन्यथा स्थितियां दिनोंदिन भयावह होती जाएंगी।
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