संपादकीय: MiG-21 के सुरक्षा रिकॉर्ड पर सवाल
भारतीय वायुसेना का लड़ाकू विमान मिग-21 (MiG) राजस्थान के हनुमानगढ़ में नियमित प्रशिक्षण उड़ान के दौरान दुर्घटनाग्रस्त हो गया।
Sandesh Wahak Digital Desk: भारतीय वायुसेना का लड़ाकू विमान मिग-21 (MiG) राजस्थान के हनुमानगढ़ में नियमित प्रशिक्षण उड़ान के दौरान दुर्घटनाग्रस्त हो गया। ताजा हादसे ने एक बार फिर इस लड़ाकू विमान के सुरक्षा रिकॉर्ड पर सवाल उठा दिए हैं।
सवाल यह है कि…
- लगातार हो रहे हादसों के बावजूद सरकार इस बेड़े को रिटायर क्यों नहीं कर रही है?
- युद्ध क्षेत्र में कौशल दिखाने वाले मिग-21 (MiG) का विकल्प क्यों नहीं तैयार किया जा रहा है?
- साठ के दशक का विमान क्या आज भी युद्ध के दौरान प्रासंगिक है?
- प्रशिक्षित पायलटों की जान से खिलवाड़ क्यों किया जा रहा है?
- क्या इस लड़ाकू विमान पर निर्भरता निकट भविष्य में खतरनाक साबित हो सकती है?
- पड़ोसी चीन व पाकिस्तान से निपटने के लिए वायुसेना को अत्याधुनिक विमानों से सज्जित करने की जरूरत सरकार को समझ क्यों नहीं आ रही है?
युद्ध में लड़ाकू विमानों की सबसे अधिक अहमियत होती है। ये न केवल तेजी से शत्रु सेना पर आक्रमण करते हैं बल्कि थल सेना को आगे बढऩे में मददगार साबित होते हैं। ये शत्रु क्षेत्र में तेजी से घुसकर उसके सैन्य इन्फ्रास्ट्रक्चर को ध्वस्त कर उसकी कमर तोड़ देते हैं। मिसाइल के युग में भी अत्याधुनिक तकनीक से लैस लड़ाकू विमान बेहद उपयोगी हैं लेकिन मिग-21 के लगातार हादसों का शिकार होने के कारण ये भारतीय सेना के लिए चिंता का विषय बन गए है।
छह दशकों में MiG-21 विमान 400 दुर्घटनाओं के हुए शिकार
वर्तमान में वायु सेना के पास मिग-21 के तीन स्क्वाड्रन हैं, जिनमें करीब 50 विमान हैं। मिग-21 विमान को 1960 के दशक में वायु सेना में शामिल किया गया था। इसके बाद इसकी लड़ाकू क्षमता बढ़ाने के लिए 870 से अधिक मिग-21 विमान खरीदे गए थे। हालांकि, विमान का सुरक्षा रिकार्ड खराब रहा। आंकड़ों के मुताबिक पिछले छह दशकों में मिग-21 विमान 400 दुर्घटनाओं के शिकार हुए हैं। इसके कारण जान-माल का नुकसान हुआ है।
हादसों को देखते हुए वायु सेना ने इसे पांच साल में चरणबद्ध तरीके से हटाने का निर्णय लिया है लेकिन अभी यह प्रक्रिया शुरू नहीं हो सकी है। आज जब अत्याधुनिक युद्धक प्रणाली से लैस विमान शत्रु देशोंं के पास है, वहां पर मिग-21 को बेड़े में बनाए रखना, वायु सेना के लिए फायदे का सौदा नहीं कहा जा सकता है।
हादसों की संख्या को देखते हुए भी अब इसकी उपयोगिता पर प्रश्नचिन्ह लगने लगे हैं। जाहिर है सरकार और वायु सेना को यथाशीघ्र इन विमानों से छुटकारा पाना चाहिए। इसकी जगह सेना को तेजस जैसे हल्के और स्वदेश निर्मित विमानों के बेड़े को बढ़ाने के बारे में सोचना चाहिए।
रक्षा मंत्रालय ने 83 तेजस लड़ाकू विमानों (tejas fighter jets) की खरीद के लिए फरवरी 2021 में एचएएल के साथ सौदा किया है लेकिन मिग-21 के तीन स्क्वाड्रन की पूर्ति के लिए उसे इसकी संख्या में और इजाफा करना होगा। इसके अलावा वायु सेना को मिग-21 के सीमित संचालन की अनुमति देनी चाहिए ताकि दुर्घटनाओं की आशंका को कम किया जा सके।
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