संपादकीय: भारत को आतंकवाद के खिलाफ बदलनी होगी रणनीति
तमाम कोशिशों के बावजूद जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों पर लगाम नहीं लग पा रही है।
Sandesh Wahak Digital Desk: तमाम कोशिशों के बावजूद जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों पर लगाम नहीं लग पा रही है। हालत यह है कि एक दशक पहले आतंक मुक्त घोषित किए जा चुके राजौरी और पुंछ में फिर से आतंकवादी सक्रिय हो गए हैं। इन जिलों में आतंकवादियों द्वारा अक्टूबर 2021 से लेकर अब तक किए गए आठ हमलों में 26 सैनिकों सहित कुल 35 लोगों की जान जा चुकी है।
सवाल यह है कि…
- सेना के लगातार अभियान चलाने के बावजूद आतंकवादियों का सफाया क्यों नहीं हो पा रहा है?
- क्या आतंकियों से निपटने के लिए परंपरागत रणनीति को बदले की जरूरत है?
- अचानक इन जिलों में आतंकवादी क्यों सक्रिय हो गए और इन्हें किसकी मदद मिल रही है?
- क्या पाकिस्तान के अलावा अफगानिस्तान के आतंकी संगठन भी भारत में अस्थिरता फैलाने में जुटे हैं?
- वैश्विक स्तर पर घेराबंदी के बाद भी पाकिस्तान की आतंकियों को समर्थन देने की नीति में कोई बदलाव क्यों नहीं आ रहा है?
- क्या भारत को अपने कूटनीतिक दांव-पेच को और धार देने की जरूरत है?
धारा 370 के बाद चरम पर भारत-पाक के बीच तनाव
भारत-पाकिस्तान के संबंध कभी अच्छे नहीं रहे हैं। जम्मू-कश्मीर में धारा 370 की समाप्ति के बाद दोनों देशों में तनाव चरम पर पहुंच चुका है। राज्य में तेजी से सुधरते हालात से पाक हुक्मरान, सेना और खुफिया एजेंसी आईएसआई बौखला गयी है। लिहाजा पाकिस्तान ने अपने पाले आतंकियों को घाटी में एक बार फिर तेजी से सक्रिय कर दिया है। इनको न केवल अफगानिस्तान के आतंकवादी संगठनों बल्कि जम्मू-कश्मीर के अलगाववादियों की मदद भी मिल रही है। अब आतंकियों ने अपनी रणनीति भी बदल ली है। एक ओर वे लोगों में डर पैदा करने के लिए टारगेट किलिंग कर रहे हैं तो दूसरी ओर सेना पर छिपकर हमला कर रहे हैं।
भारत का एजेंडा साफ, पाकिस्तान अब भी अँधेरे में
राजौरी में आतंकियों ने विस्फोट कर सेना को नुकसान पहुंचाया। इसमें पांच जवान शहीद हो गये। स्थानीय स्लीपर सेल भी सीमा पार से आए इन आतंकियों की भरपूर मदद कर रहे हैं। जम्मू-कश्मीर में हिंसक गतिविधियों को तेज करने के पीछे पाकिस्तान की मंशा इसका वैश्विककरण करने की है। इसके जरिए वह दुनिया को यह बताना चाहता है कि जम्मू-कश्मीर में हालात बिगड़ रहे हैं। साथ ही वह भारत पर इस मुद्दे पर वार्ता का दबाव बनाने की रणनीति पर भी चल रहा है। हालांकि भारत ने अपना एजेंडा साफ कर दिया है कि पाकिस्तान से केवल पाक अधिकृत कश्मीर पर ही बात होगी।
आतंकवाद के खिलाफ दुनिया को एकजुट करना होगा
जाहिर है राज्य में हालात जटिल होते जा रहे हैं। आतंकियों की बदली रणनीति के कारण सेना और सुरक्षा बलों को कई मोर्चों पर लडऩा पड़ रहा है। एक ओर उन्हें टारगेट किलिंग पर नियंत्रण लगाने तो दूसरी ओर खुद को सुरक्षित रखते हुए आतंकियों के सफाए की चुनौती है। यदि भारत सरकार आतंक का सफाया करना चाहती है तो उसे सबसे पहले घाटी में फैले इनके स्लीपर सेल का सफाया करना होगा। इसके अलावा आतंकवाद के खिलाफ विश्व के देशों को एकजुट करना होगा।
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