संपादकीय: ऑस्ट्रेलिया से प्रगाढ़ होते रिश्तों के निहितार्थ
पिछले एक दशक से ऑस्ट्रेलिया और भारत के रिश्ते तेजी से प्रगाढ़ हो रहे हैं। ऑस्ट्रेलिया के कुडोस बैंक एरिना के इंडोर स्टेडियम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वागत जिस गर्मजोशी से किया गया, वह इसकी गवाही दे रहा है।
Sandesh Wahak Digital Desk: पिछले एक दशक से ऑस्ट्रेलिया और भारत के रिश्ते तेजी से प्रगाढ़ हो रहे हैं। ऑस्ट्रेलिया के कुडोस बैंक एरिना के इंडोर स्टेडियम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वागत जिस गर्मजोशी से किया गया, वह इसकी गवाही दे रहा है। मोदी द्वारा ब्रिस्बेन में नए वाणिज्य दूतावास खोलने का ऐलान करना व हैरिस पार्क में लिटिल इंडिया गेटवे की नींव रखना बताता है कि दोनों देशों का महत्व एक-दूसरे के लिए कितना बढ़ चुका है। खुद ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज का समारोह में मौजूद रहना और भारतीय पीएम को बॉस बताना बहुत कुछ संकेत देता है।
सवाल यह है कि…
- भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच बढ़ती नजदीकियों की मुख्य वजहें क्या हैं?
- क्या हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की दादागिरी को रोकने के लिए ऑस्ट्रेलिया-भारत अच्छे साथी बने रहे हैं?
- क्या क्वाड का संस्थापक सदस्य होने के नाते भी दोनों देश एक-दूसरे से कंधे से कंधा मिलाकर चलना चाहते हैं?
- क्या प्रगाढ़ रिश्तों का असर दोनों देशों की अर्थव्यवस्था और सियासत पर पड़ेगा?
- क्या बेहतर रिश्ते ऑस्ट्रेलिया को भारत के बड़े बाजार तक आसानी से पहुंच बनाने में मदद नहीं करेंगे?
- क्या ये संबंध हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति बनाए रखने में सफल होंगे?
दोनों देशों के बीच रंगभेद का मामला अब इतिहास
एक दशक पहले तक ऑस्ट्रेलिया में भारतीय प्रवासियों के प्रति रंगभेद की नीति अपनायी जाती थी। हालांकि इसे वहां की सरकार का समर्थन नहीं था, लेकिन कई बार भारतीय, स्थानीय निवासियों के दुव्र्यवहार के शिकार बनते थे लेकिन अब यह इतिहास की बात हो चुकी है। दोनों देशों ने एक-दूसरे के नागरिकों के साथ जीना सीख लिया है लेकिन नजदीकियां बढऩे की बड़ी वजह वैश्विक कूटनीति और अर्थनीति में आए बदलाव रहे हैं। चीन की हिंद-प्रशांत क्षेत्र में बढ़ती दादागिरी ने ऑस्ट्रेलिया के साथ भारत की चिंताएं भी बढ़ा दी हैं। हिंद महासागर दोनों देशों को एक-दूसरे से जोड़ता है और इसके जरिए तमाम व्यापारिक गतिविधियां होती हैं। इस मामले को लेकर चीन के साथ ऑस्ट्रेलिया की तनातनी चलती रहती है। ऐसे में चीन की शक्ति को संतुलित करने और अपने व्यापरिक हितों की रक्षा के लिए ऑस्ट्रेलिया ने भारत का साथ स्वीकार किया है।
भारत के बाजार पर ऑस्ट्रलिया की नजर
क्वाड में ऑस्ट्रेलिया, भारत का साझीदार देश है और यह संगठन चीन की विस्तारवादी नीति पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से की गई है। इसके अलावा हर साल हजारों छात्र भारत से ऑस्ट्रेलिया अध्ययन करने जाते हैं, जिसके एवज में उसे काफी धन मिलता है। यहां के प्रवासी भारतीयों ने ऑस्ट्रेलिया को मजबूत और समृद्ध करने में अपना अहम योगदान दिया है और दे रहे हैं। ऑस्ट्रलिया की नजर भारत के बड़े बाजार पर भी है। चुनाव के दौरान प्रवासी भारतीय सरकार बनाने में भी अपनी अहम भूमिका निभाते हैं।
वहीं भारत के लिए भी ऑस्ट्रेलिया व्यापार, निवेश, कूटनीति और सैन्य रणनीति के लिहाज से बेहद मुफीद है यानी यह दोस्ती दोतरफा फायदे पर आधारित है इसलिए इसके और प्रगाढ़ होने की उम्मीद की जा सकती है।
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