संपादकीय: सरकार को बेहद सतर्क रहने की जरूरत
पंजाब में हुई हालिया घटनाओं ने साफ कर दिया है कि यहां सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। सरकार को बेहद सतर्क रहने की जरूरत है।
Sandesh Wahak Digital Desk। आखिरकार खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह पुलिस के हत्थे चढ़ गया। उसे एनएसए (राष्ट्रीय सुरक्षा कानून) के तहत गिरफ्तार कर असम की डिब्रूगढ़ जेल भेज दिया गया है। यहां पर उसके कई अन्य साथी भी बंद हैं। सवाल यह है कि पंजाब में अचानक खालिस्तान की मांग क्यों होने लगी?
- अमृतपाल कहां से आ गया और उसने सरकार की नाक में कैसे दम कर दिया?
- क्या अमृतपाल की गिरफ्तारी से पंजाब में पिछले दो सालों से तेज हुई खालिस्तान की मांग पर विराम लग सकेगा?
- क्या पाकिस्तान समर्थित खालिस्तानी शांत बैठेंगे?
- क्या केंद्र व राज्य सरकार ने इनसे निपटने के लिए कोई ठोस रणनीति बनाई है?
- क्या सरकार ने खालिस्तानी समर्थकों को चिन्हित किया है?
- क्या अलगाववादियों की सक्रियता खतरे की घंटी है?
अमित शाह और भगवंत मान की बैठक के बाद पकड़ा गया अमृतपाल
अमृतपाल सिंह ने पिछले साल वारिस पंजाब दे संगठन की बागडोर संभाली थी। यह संगठन दिल्ली हिंसा के आरोपी दीप सिद्धू ने बनाया था। 2012 से पहले अमृतपाल और उसका परिवार दुबई चला गया था। यहां से वह खालिस्तान का पाठ पढ़कर अगस्त 2022 में पंजाब आया। उसने खुद को जरनैल सिंह भिंडरांवाला का अनुयायी बताते हुए युवाओं को अगली जंग के लिए तैयार होने का आह्वान किया था। 23 फरवरी को पंजाब के अजनाला पुलिस स्टेशन पर उसके समर्थकों ने हमला कर उसके करीबी लवप्रीत तूफान को छुड़ा लिया था। इसके बाद ही केंद्र सरकार एक्शन में आ गयी। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और पंजाब के सीएम भगवंत मान की बैठक के बाद खालिस्तानी समर्थक अमृतपाल और उसके साथियों पर शिकंजा कसने की तैयारी की गई। नतीजतन अमृतपाल और उसके कई साथी पकड़े गए।
पंजाब सरकार में सबकुछ ठीक नहीं
अमृतपाल अचानक नहीं पैदा हुआ बल्कि उसे कनाडा के खालिस्तानी आतंकी संगठन व पाकिस्तान के हुक्मरानों के इशारे पर पंजाब में उपद्रव और हिंसा फैलाने के लिए लॉन्च किया गया। उसे दुबई में साजिशन खालिस्तानी विचारधारा का पाठ पढ़ाया गया। पंजाब में हुई हालिया घटनाओं ने साफ कर दिया है कि यहां सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है।
इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि अमृतपाल के आने के पहले खालिस्तानी आतंकी संगठनों ने यहां अपने समर्थकों की संख्या बढ़ा ली और उन्हीं के इशारे पर ये समर्थक अमृतपाल के पीछे लामबंद हो गये। किसान आंदोलन के समय खालिस्तानी समर्थकों की सक्रियता से भी इसकी पुष्टि होती है। इसमें दो राय नहीं कि अमृतपाल को गिरफ्तार कर लेने से हालात सुधर नहीं जाएंगे क्योंकि पाकिस्तान समर्थित आतंकी राज्य में अशांति फैलाने से बाज नहीं आएंगे।
जाहिर है, केंद्र और राज्य सरकार को इस समस्या की वास्तविक जड़ को समझना होगा। अलगाववादियों को चिन्हित कर जरूरी और सतत कार्रवाई करनी होगी। इसका स्थायी समाधान बेहद जरूरी है। कुल मिलाकर सरकार को बेहद सतर्क रहने की जरूरत है।
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