संपादकीय: Cyber War के नए हथियार पर नकेल

तेजी से डिजिटल होती दुनिया के सामने साइबर वॉर का नया खतरा उत्पन्न हो गया है। यह छिपकर प्रहार करने से कहीं अधिक घातक है।

Sandesh Wahak Digital Desk: तेजी से डिजिटल होती दुनिया के सामने साइबर वॉर (Cyber War) का नया खतरा उत्पन्न हो गया है। यह छिपकर प्रहार करने से कहीं अधिक घातक है। इसके अंतर्गत विभिन्न देश न केवल अपने दुश्मन राष्ट्र की अहम गतिविधियों पर नजर रखते हैं बल्कि गोपनीय सूचनाओं को चुरा लेते हैं। इसके लिए हैकरों और विभिन्न ऐप्स का इस्तेमाल किया जा रहा है। ये ऐप्स सरकारें ही नहीं बल्कि आतंकवादी संगठन भी प्रयोग में ला रहे हैं। इसके जरिए आतंकवादी संगठन दूसरे देशों में सक्रिय अपने स्लीपर सेल से जुड़े रहते हैं और सुरक्षाकर्मियों को भनक तक नहीं लगती है।

चीन व पाकिस्तान इन्हीं ऐप्स के जरिए भारत की गोपनीय जानकारी प्राप्त करने में जुटे हैं। पाकिस्तान के आतंकी संगठन भी इनका इस्तेमाल कर रहे हैं। लिहाजा भारत सरकार ऐसे ऐप्स को चिन्हित कर बैन कर रही है। सरकार ने पाकिस्तान के 14 ऐप्स प्रतिबंधित कर दिए हैं।

सवाल यह है कि…

  • क्या ऐप्स को प्रतिबंधित कर देने भर से समस्या हल हो जाएगी?
  • क्या सतत निगरानी सिस्टम और साइबर सिक्योरिटी की व्यवस्था मजबूत किए बिना गोपनीय सूचनाओं को हैक होने से बचाया जा सकेगा?
  • क्या साइबर वॉर के इन हथियारों को कुंद करने के लिए सरकार के पास कोई फुल प्रूफ प्लान है?
  • क्या इस भयानक खतरे से निपटने के लिए वैश्विक शक्तियों को एकजुट होने की जरूरत नहीं है?

Cyber Crime के नए हथियार बने स्मार्टफ़ोन

इंटरनेट ने सूचना के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन किया है। इसके कारण पूरी दुनिया ग्लोबल गांव में परिवर्तित हो चुकी है। इसका सदुपयोग और दुरुपयोग दोनों हो रहा है। इंटरनेट व स्मार्टफोन साइबर वॉर (Cyber War) के नए हथियार के तौर पर प्रयोग किए जा रहे हैं। दुश्मन देश जहां इसका प्रयोग अपने विरोधी राष्ट्र की सैन्य रणनीति, वैज्ञानिक खोजों और आर्थिक गतिविधियों की जानकारी चुराने में करते हैं। वहीं आतंकवादी इसका प्रयोग अपने स्लीपर सेल से जुड़े रहने, सैनिकों की लोकेशन लेने और हिंसक घटनाओं को अंजाम देने के लिए कर रहे हैं। इसके लिए वे विभिन्न ऐप्स का प्रयोग कर रहे हैं।

भारत में करीब पांच सौ से अधिक ऐप्स प्रतिबंधित

साउथ अफ्रीकन बैंकिंग रिस्क इन्फॉर्मेशन की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान के आतंकी संगठनों से जुड़े लोग फर्जी ऐप से लोगों की जानकारी चुराकर उन्हें ब्लैकमेल करने के साथ उनसे गैरकानूनी काम करवाने में जुटे हैं। वहीं चीन भी लोन और सट्टेबाजी वाले ऐप के जरिए भारतीय जनता का डेटा चुराने में जुटा है। इसके अलावा वह ऐप के जरिए भारत की सुरक्षा संबंधी जानकारियां भी प्राप्त करने की कोशिश करता रहता है। 2020 से लेकर अब तक भारत ने करीब पांच सौ से अधिक ऐसे ऐप्स प्रतिबंधित किए हैं। इसमें सबसे अधिक चीन के ऐप्स हैं।

साफ है हालात बेहद नाजुक है और इससे हर समय चौकन्ना रहने की जरूरत है। यदि सरकार इस नए हथियार से निपटना चाहती है तो उसे न केवल अपनी साइबर सुरक्षा (Cyber Security) को फुल प्रूफ बनाना होगा बल्कि सतत निगरानी सिस्टम भी विकसित करना होगा।

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