भूपेश बघेल के बेटे पर ED ने कसा शिकंजा, छत्तीसगढ़ में 14 जगहों पर ताबड़तोड़ छापेमारी

Sandesh Wahak Digital Desk: छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बड़ा एक्शन लेते हुए सोमवार को 15 ठिकानों पर छापेमारी की। इस कार्रवाई के दायरे में राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल भी आए हैं। ईडी की इस छापेमारी से घोटाले में उनकी भूमिका को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं।
सूत्रों के मुताबिक, छत्तीसगढ़ के शराब घोटाले की जांच के दौरान चैतन्य बघेल का नाम सामने आया था, जिसके बाद ईडी ने उनकी संपत्तियों और अन्य ठिकानों पर छापे मारे हैं। इससे पहले भी ईडी इस घोटाले में कई बड़े नेताओं, अधिकारियों और कारोबारियों पर शिकंजा कस चुकी है।
शराब घोटाले में अब तक क्या हुआ?
इससे पहले, मई 2024 में ईडी ने इस मामले में बड़ा एक्शन लेते हुए पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा, रायपुर के मेयर एजाज ढेबर के भाई अनवर ढेबर समेत कई आरोपियों की 205.49 करोड़ रुपये की संपत्तियां अस्थायी रूप से कुर्क की थीं।
- पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा की 14 संपत्तियां जब्त (कुल मूल्य ₹15.82 करोड़)
- अनवर ढेबर की 115 संपत्तियां जब्त (कुल मूल्य ₹116.16 करोड़)
- विकास अग्रवाल, अरविंद सिंह और अरुण पति त्रिपाठी की संपत्तियों पर भी कार्रवाई
क्या है छत्तीसगढ़ का शराब घोटाला?
ईडी की जांच के मुताबिक, 2017 में शराब की खरीद और बिक्री के लिए छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड (CSMCL) बनाई गई थी। लेकिन सरकार बदलने के बाद यह एक बड़े सिंडिकेट के नियंत्रण में आ गई।
आरोप है कि इस सिंडिकेट से जुड़े लोगों को ही शराब कारोबार के सारे ठेके दिए गए, जिससे बड़े पैमाने पर अवैध शराब की बिक्री हुई और करोड़ों रुपये का ‘कमीशन’ कमाया गया। ईडी का दावा है कि यह रकम अनवर ढेबर को दी गई और फिर इसे राजनीतिक दलों तक पहुंचाया गया। ईडी की इस छापेमारी को घोटाले में बड़े नेताओं और उनके परिजनों की भूमिका की गहराई से जांच के रूप में देखा जा रहा है। सूत्रों की मानें तो जल्द ही इस मामले में और बड़े नामों पर कार्रवाई हो सकती है।
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