मास्टर सलीम के धमाकेदार गीतों से सजी देशज की शाम, लोक कला और संस्कृति का भव्य उत्सव
Sandesh Wahak Digital Desk: अवध की धरती पर शुक्रवार की शाम पंजाब के सुरों और देशभर की लोककलाओं के संगम से गुलजार हुई। मौका था चौथे देशज कार्यक्रम का, जिसे सोनचिरैया फाउंडेशन ने बड़े जोश-ओ-खरोश के साथ आयोजित किया। इस सांस्कृतिक आयोजन का उद्घाटन उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने किया।
कार्यक्रम की खासियत थी लोककला, संगीत, और भारत की विविध संस्कृति का रंगारंग प्रदर्शन, जिसमें हरियाणा के फाग नृत्य से लेकर केरल के गरूड़न परवा तक, और मास्टर सलीम के पंजाबी गीतों से लेकर मालिनी अवस्थी के आध्यात्मिक सुरों तक, सब कुछ शामिल था।
मास्टर सलीम ने बांधा समां
शाम के सितारे मास्टर सलीम ने अपने हिट गीतों “जुगनी”, “दमा दम मस्त कलंदर”, और “छाप तिलक” से दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया। उनकी गायकी ने न केवल लोकगीतों की महक बिखेरी, बल्कि पंजाबी लोकसंस्कृति की ऊर्जा भी मंच पर उतार दी।
मालिनी अवस्थी की मधुर प्रस्तुति
पद्मश्री मालिनी अवस्थी ने अपने गीत ‘चलो चले कुम्भ चले’ के माध्यम से 2025 में प्रयागराज में होने वाले महाकुंभ के लिए भक्तों का आवाह्न किया। उन्होंने मानस की चौपाइयों के माध्यम से आध्यात्मिक श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया। दर्शकों को अपनी प्रस्तुति में शामिल करते हुए उन्होंने लोकसंस्कृति और पाई डंडा कला का महत्व भी साझा किया।
कला और परंपरा का संगम
कार्यक्रम की शुरुआत मध्य प्रदेश के मटकी लोकनृत्य से हुई, जिसमें पारंपरिक गीत ‘सायबा म्हारो लाइ करण फूल झुमको’ पर कलाकारों ने शादी-ब्याह की खुशियों को खूबसूरत अंदाज में प्रदर्शित किया। इसी क्रम में ओडिशा के छउ नृत्य और कथक का अद्भुत संगम देखने को मिला। कलाकारों ने शिव स्तुति ‘गिरीशं गणेशं गले नीलकण्ठं’ पर समुद्र मंथन की कथा को मंच पर जीवंत कर दिया।
इसके बाद केरल के गरूड़न परवा नृत्य ने देवी काली को प्रसन्न करने की गरुण कथा को प्रदर्शित किया। हरियाणा के फाग नृत्य में फसल कटाई की खुशी और नई दुल्हन के संवाद ने दर्शकों का मन मोह लिया।
महाकुंभ 2025 की झलक
कार्यक्रम में महाकुंभ के भव्य आयोजन की प्रतीकात्मक प्रस्तुति भी दी गई। मालिनी अवस्थी के गीत ‘चलो चले कुम्भ चले’ पर असम, बांदा, और देश के विभिन्न हिस्सों के कलाकारों ने अपने नृत्य और रंगों से महाकुंभ के लिए भारत की भावनाओं को प्रदर्शित किया।
सांस्कृतिक धरोहर को समर्पित एक शाम
इस मौके पर जयवीर सिंह ने पद्मश्री मालिनी अवस्थी को प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर बताते हुए महाकुंभ में शामिल होने के लिए सबको आमंत्रित किया। उन्होंने कहा, “आगामी महाकुंभ न केवल आस्था का प्रतीक होगा, बल्कि यह भारत की विविधता और संस्कृति की सशक्त झांकी भी पेश करेगा।”
देशज 2023 ने लोककला, संगीत और संस्कृति के माध्यम से भारत की जीवंत परंपरा और महाकुंभ के संदेश को दर्शकों तक पहुंचाने में शानदार भूमिका निभाई।
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