नोटबंदी 2.0 : दो हजार के ज्यादा नोट जमा करने वाले आयकर के रडार पर
अगले माह से शुरू हो सकता है कालेधन के खिलाफ बड़े पैमाने पर अभियान, 2016 की तर्ज पर कसेगा शिकंजा
Sandesh Wahak Digital Desk : भारतीय रिजर्व बैंक के आदेश पर बैंकों में दो हजार के नोट जमा होने लगे हैं। मंगलवार से नोट के बदले लोग अन्य करेंसी ले सकेंगे। 30 सितंबर तक दो हजार के नोट बैंकों में जमा करने और बदलने का समय दिया गया है। इससे पहले ही आयकर विभाग बड़ी संख्या में दो हजार के नोट रखने वालों पर निगरानी शुरू करेगा। विशेषज्ञ इसे नोटबंदी 2.0 करार दे रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक आयकर विभाग जून से कालेधन के खिलाफ अभियान शुरू करने जा रहा है।
यूपी में सबसे ज्यादा दो हजार के नोट होने का अंदेशा
फिलहाल देश में दो हजार के नोटों की तीन लाख 13 हजार करोड़ की करेंसी मौजूद है। इसमें यूपी देश का सबसे बड़ा राज्य है। इसलिए यहां सबसे ज्यादा दो हजार के नोट होने का अंदेशा भी है। जिस तरह साल 2016 की नोटबंदी के बाद के सालों में करदाताओं को जमकर नोटिस आए, उसी तरह अब नोटबंदी 2.0 में भी होना तय माना जा रहा है। बैंकों के पास खाताधारक की इस दौरान पूरी जानकारी रहेगी कि उसने 30 सितंबर तक दो-दो हजार के कितने नोट के जरिए कुल कितनी राशि जमा कराई।
जमा राशि पर आरबीआई और इनकम टैक्स के सीटीआर और एसटीआर सिस्टम से पूरी नजर रखी जाएगी। आयकर विभाग कुछ समय के बाद बैंकों से जमा व बदली जाने वाली राशि का ब्योरा लेना भी शुरू करेगा। कोई भी जमा राशि संदेहास्पद मिलने पर आयकर विभाग के रडार पर जमाकर्ता आएगा।
कैश काउंटर वालों के जो खाते हैं, इसमें अधिक ट्रांजेक्शन से समस्या नहीं
गरीबों के लिए केंद्र सरकार द्वारा खुलवाए गए जन-धन खातों में भी तय नियम के तहत ही राशि जमा होगी। 2016 की नोटबंदी में काला धन जमा कराने के लिए इन खातों का जमकर प्रयोग हुआ था। हालांकि कैश काउंटर वालों के लिए चिंता की बात नहीं है। हजरतगंज स्थित सीए दीपक शर्मा के मुताबिक कैश काउंटर वालों के जो खाते हैं, इसमें अधिक ट्रांजेक्शन से समस्या नहीं है।
2016 से शुरू नोटबंदी की स्क्रूटनी 2022 तक चली
आयकर के अफसर के मुताबिक 2016 में नोटबंदी के बाद बैंकों में अधिक राशि जमा करने वालों पर शिकंजा कसा गया था। पांच सौ-एक हजार की अधिक करेंसी जमा करने वालों के खिलाफ 2016 से शुरू हुई स्क्रूटनी 2022 तक चली। इस बार दो हजार की करेंसी वापस लेने का उद्देश्य काला धन रोकना है। अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगा।
सीटीआर व एसटीआर से खातों पर नजर, लगेगी 77 फीसदी पेनल्टी
बैंकों का सीधा इनकम टैक्स से सिस्टम लिंक रहता है, जिसे कैश ट्रांजेक्शन रिपोर्टिंग (सीटीआर) कहते हैं। इसमें किसी भी खाताधारक के खाते में साल भर में दस लाख से ज्यादा के हुए लेन-देन की जानकारी विभाग के पास जाती है। इसके साथ ही सस्पीशियस ट्रांजेक्शन रिपोर्टिंग यानि एसटीआर सिस्टम होता है, जिसमें यदि कोई खाता अप्रत्याशित तौर पर अधिक लेन-देन करता है तो इसकी भी जानकारी आयकर विभाग के पास जाती है।
जैसे यदि किसी खाताधारक का साल में दो-तीन लाख का ही लेन-देन है और वह छह-सात लाख कर देता है तो यह जानकारी आयकर के पास जाती है। इस राशि का अलर्ट इनकम टैक्स के पास रूटीन सिस्टम से जाएगा। यदि संबंधित खाताधारक द्वारा जमा राशि उसके आयकर रिटर्न से मैच नहीं करती है तो फिर अगले वित्तीय साल में आयकर विभाग से नोटिस जारी कर उससे इस जमा राशि का हिसाब मांगा जाएगा और यदि वैध कारण नहीं बता पाया तो जमा राशि पर इनकम टैक्स एक्ट के तहत कम से कम 77 फीसदी की पेनल्टी लगेगी।
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