बांग्लादेश में पूर्व पीएम शेख हसीना की पार्टी पर बैन की मांग, छात्र संगठन एनसीपी ने लगाया तानाशाही का आरोप

Sandesh Wahak Digital Desk: बांग्लादेश की राजनीति में उथल-पुथल जारी है। पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी आवामी लीग को प्रतिबंधित करने की मांग उठने लगी है। नेशनल सिटिजन पार्टी (एनसीपी) नामक छात्र संगठन ने शनिवार को बांग्लादेश सरकार से अपील की कि आवामी लीग को राजनीतिक दल के रूप में मान्यता रद्द कर दी जाए और उसे आगामी चुनावों में भाग लेने की अनुमति न दी जाए।
एनसीपी का आरोप है कि शेख हसीना ने 16 वर्षों तक बांग्लादेश में फासीवाद को बढ़ावा दिया और लोकतांत्रिक मूल्यों को दबाया। संगठन का कहना है कि आवामी लीग की नीतियों ने देश को तानाशाही शासन की ओर धकेल दिया था, जिससे जनता को भारी नुकसान हुआ।
छात्र आंदोलन के कारण हसीना की सत्ता गई
अगस्त 2024 में बांग्लादेश में छात्रों के नेतृत्व में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए थे, जिसने देशभर में राजनीतिक संकट पैदा कर दिया था। इन हिंसक प्रदर्शनों के कारण हसीना सरकार को इस्तीफा देना पड़ा और वे सत्ता से बाहर हो गईं। इसके बाद, पूर्व प्रधानमंत्री को देश छोड़कर भारत में शरण लेनी पड़ी।
कार्यवाहक सरकार ने भारत से हसीना के प्रत्यर्पण की मांग की
बांग्लादेश की कार्यवाहक सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने भारत सरकार से शेख हसीना के प्रत्यर्पण की औपचारिक मांग की है। हसीना पर कई आपराधिक मुकदमे दर्ज किए गए हैं, जिनमें दर्जनों लोगों की हत्या का आरोप शामिल है।
एनसीपी ने शाहबाग में किया प्रदर्शन
शनिवार को ढाका के शाहबाग में हुए एक विरोध प्रदर्शन में एनसीपी के सदस्य सचिव अख्तर हुसैन ने कहा कि बांग्लादेश के लोगों ने अपनी जान की कुर्बानी देकर हसीना शासन को समाप्त किया। उन्होंने सरकार से मांग की कि आवामी लीग को दोबारा देश की राजनीति में प्रवेश न करने दिया जाए।
बांग्लादेश की राजनीति में नया मोड़
पूर्व पीएम शेख हसीना की भारत में मौजूदगी और उनके प्रत्यर्पण की मांग से भारत-बांग्लादेश संबंधों पर भी असर पड़ सकता है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या आवामी लीग पर प्रतिबंध लगेगा या फिर वह वापसी की कोशिश करेगी।