खुलासा: देश की सबसे बड़ी डाटा चोरी, 24 राज्यों समेत कई महानगरों को बनाया शिकार
नई दिल्ली। देश की आधी आबादी का निजी और गोपनीय डाटा अब सुरक्षित नहीं है। देश की सबसे बड़ी डाटा चोरी का खुलासा होने से आम आदमी से लेकर बड़े बड़े दिग्गजों तक में हडक़ंप मच चुका है। इस डाटा चोरी गैंग में तकनीक से जुड़े कई बड़े महारथी का संलिप्त होना बताया जा रहा है। फिलहाल पुलिस के हत्थे अभी सिर्फ एक आरोपी ही चढ़ सका है। डाटा को 24 राज्यों और आठ महानगरों से चुराया गया है।
जानकारी के मुताबिक हैदराबाद से ये सनसनीखेज मामला सामने आया है। पुलिस की ओर से जारी बयान में बताया गया है कि आरोपी विनय भारद्वाज के पास शिक्षा-प्रौद्योगिकी संगठनों के छात्रों का डेटा था और उसके पास जीएसटी, विभिन्न राज्यों के सड़क परिवहन संगठनों, प्रमुख इको-समरस पोर्टलों, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और फिनटेक कंपनियों जैसे प्रमुख संगठनों के उपभोक्ता/ग्राहक का डाटा भी था।
साइबराबाद महानगर पुलिस एक शख्स को किया गिरफ्तार
यहां साइबराबाद महानगर पुलिस ने शनिवार को एक शख्स को 66.9 करोड़ लोगों और संगठनों के व्यक्तिगत और गोपनीय डाटा की चोरी व बिक्री के आरोप में गिरफ्तार किया है। यह डाटा 24 राज्यों और आठ महानगरों से संबंधित है। आरोपी को 104 श्रेणियों में रखे गए लगभग 66.9 करोड़ व्यक्तियों और संगठनों के व्यक्तिगत और गोपनीय डाटा बेचते हुए पाया गया है।
बयान में कहा गया, आरोपी के पास मौजूद कुछ महत्वपूर्ण आंकड़ों में रक्षा कर्मियों, सरकारी कर्मचारियों, पैन कार्ड धारकों, 9वीं, 10वीं, 11वीं और 12वीं कक्षा के छात्रों, वरिष्ठ नागरिकों, दिल्ली बिजली उपभोक्ताओं, डी-मैट खाताधारकों, विभिन्न व्यक्तियों के मोबाइल नंबर, नीट छात्रों, बीमा धारकों, क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड धारकों का डेटा शामिल है। आरोपी हरियाणा के फरीदाबाद में एक वेबसाइट इंस्पायर वेब्ज के जरिए काम कर रहा था।
आजकल निजी डाटा चोरी की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। निजी डाटा चोरी की घटनाओं को रोकने और इसकी सुरक्षा को लेकर इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि जल्द ही सरकार डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल 2023 लेकर आ रही है।
सरकार ने एएसटीआर को बनाया अपना हथियार
सरकार ने साइबर क्राइम पर शिकंजा कसने के लिए आर्टिफिशिएल इंटेलिजेंस-फेस रिकॉग्निशन इनेबल्ड सिस्टम यानि एएसटीआर को हथियार बनाया है। इससे साइबर अपराध में इस्तेमाल हुए सिम की डिटेल्स निकाली जाती है। आठ लाख से ज्यादा फर्जी सिम डिएक्टिवेट किए जा चुके हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और फेस रिकॉग्निशन इनेबल्ड टेलीकॉम सिम सब्सक्राइबर वैरिफिकेशन सिस्टम से एजेंसियां निगरानी कर रही हैं, ताकि लोगों के बैंक खाते, क्रेडिट कार्ड या पेमेंट वॉलैट पर साइबर अपराधी डाका ना डाल सके। साइबर अपराध का गढ़ कहे जाने वाले जामताड़ा, मेवात और पुरुलिया से की जा रही हरेक संदेहास्पद कॉल पर एजेंसियां एएसटीआर सिस्टम से नजर रखे हुए हैं।
रक्षा विभाग से जुड़े ढाई लाख लोग प्रभावित
रक्षा विभाग से जुड़े 2.55 लाख लोगों का डेटा भी चोरी हो गया है और इससे देश की सुरक्षा को खतरा होने की आशंका है। पिछले माह देश भर में 16.80 करोड़ लोगों की निजी और गोपनीय जानकारी चुराकर बेचने वाले गिरोह के सात सदस्यों को दिल्ली के एक उपनगर नोएडा में गिरफ्तार किया गया था।
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