Corruption News: प्राधिकरणों से लेकर राजस्व से जुड़े विभागों को अरबों की चपत
कैग रिपोर्ट में प्रदेश सरकार के अफसरों की लापरवाही व अनियमितताएं बेनकाब
Sandesh Wahak Digital Desk: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अफसरों को ताकीद किया था कि बिल्डरों से रिश्तेदारी न निभाएं। इसके बावजूद अफसरों की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ा। नतीजतन प्राधिकरणों को दो अरब की तगड़ी चपत पहुंची है। जिसका खुलासा सदन में रखी कैग रिपोर्ट से हुआ है।
सिर्फ यही नहीं राजस्व जुटाने वाले विभागों के अफसरों की लापरवाही से योगी सरकार को हजारों करोड़ का नुकसान हुआ है। मेट्रो रेल परियोजना में भी 82 करोड़ की मनमानी सामने आयी है। प्रयागराज विकास प्राधिकरण द्वारा बिना सर्वे के 1200 फ्लैटों के निर्माण शुरू किए जाने से करोड़ों का नुकसान हुआ है।
बकाया राशि की वसूली ना होने से करोड़ों का नुकसान
मेरठ विकास प्राधिकरण ने बिल्डर से आवंटित भूमि के बदले बकाया राशि की वसूली नहीं की। जिससे 30 करोड़ का नुकसान हुआ है। गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के भूखंडों के आवंटन में अतिरिक्त शुल्क न लिए जाने से करीब 41 करोड़ का नुकसान हुआ है। गाजियाबाद में उप्पल चड्ढा बिल्डर पर भूउपयोग परिवर्तन शुल्क की मेहरबानी ने 34.27 करोड़ का नुकसान कराया। डिफॉल्टर आवंटियों ने 25.67 करोड़ की चपत लगायी। व्यावसायिक भूखंडों से प्राधिकरण को 147.59 करोड़ का नुकसान हुआ।
इसी तरह राज्य कर, आबकारी खनन, स्टांप व पंजीयन और वाहन व यात्री कर विभाग के अफसरों की लापरवाही ने साढ़े तीन हजार करोड़ से ज्यादा की आर्थिक चोट दी है। राज्य कर विभाग में 1525 करोड़ की अनियमितताओं में से करीब 1446 करोड़ के मामले सिर्फ फर्जी आईटीसी से जुड़े हैं। स्टाम्प व निबंधन विभाग के 60 उप निबंधक कार्यालयों के 708 मामलों में 351 करोड़ से ज्यादा की गड़बडिय़ां कैग रिपोर्ट में बेनकाब हुई हैं।
आबकारी विभाग में करोड़ों का घोटाला
जिसमें 300 करोड़ से ज्यादा मामले बंधक दस्तावेजों पर लगाए गए स्टांप से जुड़े थे। प्रदेश के 13 जिला खान अधिकारियों के दस्तावेजों की जांच से जुड़े 3588 मामलों में रायल्टी का खेल हुआ है। 440 करोड़ का नुकसान पहुंचाया गया है। 119 करोड़ रुपये की रायल्टी वसूली ही नहीं गई। वाहन, माल और यात्री कर विभाग की जांच में भी लगभग 48 करोड़ की कमी पकड़ी गई। 4165 मामलों में 25 करोड़ के टैक्स की वसूली कम की गई।
आबकारी विभाग में 1276 करोड़ का घोटाला पकड़ा गया। जांच में 29 इकाइयों की 2519 फाइलों की जांच में सामने आया कि 1078 करोड़ के राजस्व की क्षति हुई। अनुज्ञापन शुल्क न लेकर 164 करोड़ का नुकसान किया गया।
तमाम विभाग दबाए हैं करोड़ों का ऑडिट शुल्क
सरकारी विभागों पर आडिट शुल्क का करीब 40 करोड़ बकाया है, सिर्फ नगर निगमों और विकास प्राधिकरणों पर ही 30 करोड़ है। आगरा, मेरठ, वाराणसी, लखनऊ नगर निगम पर 18.97 करोड़ से अधिक का बकाया है। विकास प्राधिकरणों में प्रयागराज, आगरा, मेरठ, लखनऊ और कानपुर पर करीब 10 करोड़ बकाया है। मालवीय इंजीनियरिंग कॉलेज, कमला नेहरू प्रौद्योगिकी संस्थान, यमुना एक्सप्रेस वे प्राधिकरण, मंडी परिषद, लखनऊ विश्वविद्यालय, गोरखपुर विश्वविद्यालय के साथ अन्य संस्थानों पर करोड़ों का बकाया है।
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